Tuesday, December 23, 2025
Homeउत्तर प्रदेशहालातों से नहीं हारी अंजलि, जूझकर हासिल किया मुकाम

हालातों से नहीं हारी अंजलि, जूझकर हासिल किया मुकाम

कुशीनगर (राष्ट्र की परम्परा)। हिम्मत और हौसला हो तो किस्मत की लकीरों को भी बदलते देर नहीं लगती। 24 वर्षीय अंजलि के साथ ऐसा ही हुआ। पढ़ने-खेलने की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया। अभी वह घर का किचन भी ठीक से नहीं समझ पाई थी तभी पूरा परिवार संभालने की जिम्मेदारी आ गई। अंजलि, हालातों से हारी नहीं बल्कि डटकर मुकाबला किया और आखिरकार उसने मुकाम हासिल कर लिया।
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के सुकरौली गांव की रहने वाली अंजली अब विशुनपुर उर्फ थुथी गांव के चौराहे पर पीएनबी का मिनी बैंक चला रही हैं। गुरुवार को उनके मिनी बैंक का उद्घाटन पीएनबी प्रबंधक विजय कुमार सिंह ने किया। वह अपने सपनों को पाकर बेहद खुश थी। स्थानीय सभासद से लेकर आसपास के लोग उसकी उपलब्धियों में सरीक हुए। इस मौके पर जागृति की वुमेन सीओई मैनेजर शिल्पी सिंह, डिजिटल सीओई मैनेजर अभिषेक भारद्वाज, उद्यम कोर सूर्यवंशी, आउटरीच मैनेजर राजीव राय, कंटेंट रायटर बैकुंठनाथ शुक्ल मौजूद रहे।

परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी अंजलि के कंधों पर

अंजलि जब 21 साल की थी तभी पिता सोहनलाल निषाद का दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। अपनी और छोटे भाई की पढ़ाई के अलावा पूरे परिवार को संभालने की जिम्मेदारी अंजलि के ऊपर आ गई। लेकिन अंजलि ने परिस्थितियों से डटकर मुकाबला किया। बैंकिंग और वित्त से जुड़े क्षेत्र में करियर बनाने के सपने को उसने पाले रखा। गांव के चौराहे पर एक सीएसपी पर नौकरी करने लगी। खुद की पढ़ाई के साथ छोटे भाई के करियर को संवारने में जुट गई। इसी बीच पीएनबी के मिनी बैंक सीएसपी के लिए आवेदन किया। इंटव्यू के दौरान उसे अपात्र घोषित कर दिया गया।

जागृति का मिला सहारा

अंजलि के हौसले डगमगाते कि तभी जागृति का सहारा मिल गया। जागृति की टीम को दृष्टि डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन लिमिटेड के लिए बैंकिंग के क्षेत्र में रूचि रखने वाले युवा और युवतियों की तलाश थी। स्थानीय सभासद संजीव यादव ने अंजलि की मेहनत और लगन के बारे में टीम को जानकारी दी। जागृति के उद्यम कोर सूर्यवंशी राय अंजलि के घर पहुंचे और हर संभव मदद का भरोसा दिया। अंजलि ने पिछली त्रुटियों से सीखकर उन्हें सुधारा और दूसरे आईआईबीएफ (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस) परीक्षा को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया।
भाई केशव 12वीं की पढ़ाई कर रहा है। अंजलि भी परास्नातक (एमए) की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। पिता के निधन के बाद घर में आई तंगहाली धीरे-धीरे दूर हो चुकी है। अंजलि के संघर्ष की कहानी उसके गांव में एक प्रेरणास्त्रोत बन गई है। उसने साबित कर दिया है कि किसी भी सपने को पूरा करने के लिए केवल धैर्य और मेहनत की जरूरत होती है। अंजलि का कहना है कि परिस्थितियों, चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए। संघर्ष करना चाहिए मुकाम मिल ही जाता है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments