December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

पशु चिकित्सालय पर डॉक्टर के नहीं होने से पशु पालक परेशान

चपरासी चला रहा पशु अस्पताल

शाहजहांपुर(राष्ट्र की परम्परा)
ब्लॉक जैतीपुर ग्राम खेड़ा घास उर्फ पृथ्वीपुर में पशु चिकित्सालय होने के बाद भी ग्रामीणों को यहां सुविधा नहीं मिल रही है। चिकित्सक के नहीं होने से यहां ताला लगा रहता है। ग्रामीणों ने 1076 पर इसकी शिकायत भी की बावजूद समस्या बनी हुई है। जबकि शिकायत लेवल चार तक पहुंच गई है। ऐसे में बीमार पशुओं के उपचार के लिए पशु पालकों को भटकना पड़ता है पशु चिकित्सालय भी बदहाल स्थिति में है। कई माह से पशु चिकित्सक नहीं होने का खामियाजा पशु मालिकों को भुगतना पड़ता है। पदस्थ चिकित्सक के अन्य स्थान पर स्थानांनतरण होने के बाद से यहां पद रिक्त पड़ा है। आसपास के पदस्थ पशु चिकित्सक को सप्ताह में एक दिन के लिए यहां डयूटी देने के निर्देश दिए है। लेकिन वे यहां पहुंचते ही नहीं है। न तो अस्पताल खुलने का समय दर्शाया गया है और नहीं पदस्थ कर्मचारी का नाम व नंबर लिखा है। कार्यालय के चैनल गेट पर हमेशा ताला रहता है। दर्जनों गांव अधिकांश पशुओं में इस समय पैरों में गारीया जिसे ग्रामीण भी कहते हैं वो बीमारी हो रही है। ऐसे में बदनावर से अन्य चिकित्सक को बुलाने पर फीस के साथ दवाई का खर्च भी पशु पालकों को वहन करना पड़ता है। ऐसे में नि:शुल्क मिलने वाली दवाइयां भी बाजार से लाना पड़ रही वहीं चिकित्सक नहीं होने से उपचार में विलंब होता है।कसबे का पशु चिकित्सालय बदहाल पड़ा हैं। जर्जर अस्पताल भवन में न ही बाउंड्रीवाल है और न ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था। डॉक्टर साहब तो कभी आते ही नहीं हैं। एक मात्र चपरासी के भरोसे अस्पताल चल रहा है।जिससे पशु पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।खेड़ा घास उर्फ पृथ्वीपुर में बना पशु चिकित्सालय का भवन विभाग की लापरवाही के कारण जर्जर हालत में पहुंच गया है। इस अस्पताल में तैनात डा. कभी नहीं आते हैं। अस्पताल चपरासी के भरोसे चल रहा है। पशुओं को दवाएं तक नहीं मिलती हैं। अस्पताल में न ही पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही पशुपालकों के बैठने के लिए।चपरासी मुनेश बताया कि डॉक्टर साहब कभी नहीं आते हैं। रामप्रकाश ही पशुओं का इलाज करता है। अस्पताल में पीने का पानी न होने से बहुत दिक्कत होती है। परिसर में बाउंड्री भी नहीं है। इलाज करते समय अगर कोई पशु छूट जाता है तो उसे पकड़ने में खासी दिक्कत होती है। अस्पताल की दीवार पर लिखा डॉक्टर का मोबाइल नंबर डायल करने पर घंटी तो जाती है लेकिन डॉक्टर साहब फोन नहीं उठाते हैं।