
डीडीयू में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में बोले परमवीर चक्र विजेता
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। “शांति के बिना किसी भी राष्ट्र की प्रगति और उन्नति संभव नहीं है। लेकिन यह शांति केवल युद्ध जीतकर थोपने वाली नहीं होनी चाहिए, बल्कि ऐसी शांति होनी चाहिए जिसमें भारत और उसके पड़ोसी राष्ट्र परस्पर सहयोग एवं संसाधनों के अधिकतम उपयोग के माध्यम से साझा विकास के पथ पर अग्रसर हो सकें।” उक्त विचार परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने व्यक्त किए। वे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग तथा इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (ICWA) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “भारत की पड़ोसी प्रथम नीति: चुनौतियां एवं विकल्प” के समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे।
कैप्टन यादव ने कहा कि वर्तमान समय में केवल बाह्य ही नहीं, आंतरिक सुरक्षा भी बड़ी चुनौती बनती जा रही है। समाज में पारिवारिक विखंडन जैसी समस्याएं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर संकेत हैं, जिनसे निपटने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान अपने अनुभवों को भी साझा किया और भारतीय सेना के जवानों के शौर्य, बलिदान एवं समर्पण को नमन किया। उन्होंने युवाओं से देश सेवा के लिए प्रेरित होने का आह्वान किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कर्नल सूर्य प्रकाश रेड्डी ने भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि चीन, पाकिस्तान जैसे देशों की गतिविधियाँ भारत की रणनीतिक सोच को प्रभावित करती हैं, इसलिए पड़ोसी देशों की स्थिति पर सजग दृष्टि आवश्यक है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भारत के अधिकांश पड़ोसी अभी भी राष्ट्र निर्माण के शुरुआती दौर में हैं, जिससे वहां अस्थिरता बनी हुई है। भारत को चाहिए कि वह अपनी नीति के तहत पड़ोसी देशों को स्थायित्व दिलाने में सहयोग करे, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में शांति और समृद्धि का वातावरण बन सके।
विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह संगोष्ठी अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल रही। संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ. आरती यादव ने सभी प्रतिभागियों, विशेषज्ञों और छात्रों के सक्रिय सहभागिता के लिए आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी, रक्षा विशेषज्ञ, विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी, स्नातक व परास्नातक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से प्रो. सतीश चंद्र पांडेय, प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, प्रो. श्रीनिवास मणि त्रिपाठी, प्रो. प्रदीप कुमार यादव, प्रो. हरि सरन, डॉ. प्रवीन कुमार सिंह, डॉ. जितेंद्र कुमार, डॉ. विजय कुमार, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. डी.के. पाटिल (महाराष्ट्र) आदि विद्वानों की उपस्थिति ने संगोष्ठी को विशिष्ट स्वरूप प्रदान किया।
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