
प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान के संबंध को दर्शाती है यह संगोष्ठी- प्रो. पूनम टंडन
डीडीयू में द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ‘सोशियोलॉजिकल डिसकोर्स इन इंडियन नॉलेज सिस्टम’ विषयक द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. बद्रीनारायण द्वारा किया गया। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि यह संगोष्ठी प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान के संबंध को दर्शाती है और विश्वविद्यालय की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की गई है। प्रो. बद्रीनारायण ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा ऐसे लोकतंत्र की बात करता है जहां न केवल मानव अपितु सभी जीवों का कल्याण हो। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय परम्परा में व्याप्त लोकगीत, अनुष्ठान, जन रीतियां सम्पूर्ण जीव कल्याण का उपदेश देती है, लोकगीत और अनुष्ठान के माध्यम से नदी, मिट्टी, वायु, जल का आह्वाहन किया जाता है। भारतीय समाज ऐसा समाज है जहां पेड़ से पत्ती तोड़ने के लिए भी सिस्टम है, किस प्रकार हम उन संसाधनों का उपयोग करते हुए उनका ख्याल रखें।संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. राजवंत राव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ही भारतीय संस्कृति का निर्माण करती है। भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति अन्योन्याश्रीत है। कर्म का सिद्धांत जो वैदिक काल से लेकर आजतक हर भारतीय के मन में बसा है और निरंतर प्रवाहमान है। भारतीय संस्कृति की विशेषता है इसकी नित्य नूतन परिवर्तन की प्रकृति और जिस कारण भारतीय ज्ञान परंपरा बिना नष्ट हुए निरंतर प्रवाहमान है। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में स्वागत वक्तव्य संगोष्ठी निदेशक प्रो. अनुराग द्विवेदी ने दिया। उद्घाटन सत्र का संचालन शोध छात्रा अदिति सिंह तथा धन्यवाद संगोष्ठी समन्वयक डॉ. मनीष कुमार पांडेय ने किया। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, शहर के गणमान्य नागरिक समेत बड़ी संख्या में विद्वतजन और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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