July 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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श्रीमद् भागवत कथा में “श्रीकृष्ण जन्मोत्सव”

“नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जयकारे पर झूमे श्रद्धालु”

“श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव”
भाटपार रानी/ देवरिया (राष्ट्र की परम्परा )
भाटपार रानी तहसील/विधानसभा क्षेत्र में श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव विधानसभा क्षेत्र स्थित सूरवल गांव में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा श्रवण कर सभी श्रद्धालु भक्त जन श्री कृष्ण की भक्ति में इस कदर डूब गए। जब कथावाचक ने श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजन प्रस्तुत किया । तब सभी श्रोतागण संगीतमय धुन पर थिरकने लगे। कथा के दौरान यहां पूरा पंडाल नटखट के जयकारों से गूंज उठा।
वृंदावन से पधारे कथावाचक आचार्य पवन बिहारी शर्मा ने वामन अवतार, ध्रुव चरित्र, प्रह्लाद व गजग्रहा चरित्र के प्रसंग का वर्णन किया। वहीं उन्होंने श्रीकृष्ण जन्म की लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की भी महत्ता पर प्रकाश डाला। इससे पहले भक्तजन द्वारा भागवत पूजन कर कथा की शुरुआत हुई।आचार्य ने कहा कि अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। यह मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। वहीं उन्होंने कथा में कहा कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, थी तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा था। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए। परमात्मा की उपस्थिति से दैहिक, दैविक एवं सभी बंधन समूल नष्ट हो जाते हैं। आचार्य ने भगवान कृष्ण की विभिन्न नटखट लीलाओं का वर्णन किया।
आचार्य ने श्रद्धालु जनों को बताया कि मनुष्य को गृहस्थ जीवन जीने के लिए भगवान शिव के आदर्शों पर चलना चाहिए। भगवान शिव अपने विवाह के श्रृंगार से समाज को बताना चाहते हैं कि मेरे सिर पर नाग विराजमान है, जिसका तात्पर्य है कि संसार के समस्त प्राणियों के सिर पर कालरूपी नाग बैठा है, जो प्रत्येक दिन उसकी आयु को खा रहा है। भगवान शेर की खाल धारण कर यह बताना चाह रहे हैं कि मनुष्य को संयमित जीवन सिंह की तरह जीना चाहिए, क्योंकि शेर अपने जीवन में एक नारीव्रत धारी है।विवाह में दूल्हा घोड़े पर बैठता है, परन्तु भगवान शिव नन्दी पर बैठे हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि नन्दी धर्म का प्रतीक है और घोड़ा काम का प्रतीक है। भगवान शिव पूरे शरीर पर चिता की राख लपेटे हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि दुनिया के सभी प्राणियों को एक दिन चिता में ही जाना है। कथा श्रवण के दौरान कथा के मुख्य यजमान सेवानिवृत प्रधानाचार्य रामदुलार मिश्र, अनिल मिश्र, श्रीमती अर्चना देवी, अभिषेक मिश्रा ,आयुष ,अनुष्का, दीनानाथ मद्धेशिया, रामनाथ ,पंचदेव मिश्र, भगवान ओझा, रमाकांत यादव, सुनीता मिश्रा ,अनीता मिश्रा, श्रीमती कलावती देवी, अखिलेश तिवारी, राजू तिवारी, लीलावती तिवारी, सहित भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।