
भाटपार रानी/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
बिहार संपर्क क्रांति सुपरफास्ट ट्रेन ट्रेन से खुद के साथ एक लाख रुपए करीब के लैपटॉप चोरी की सूचना देने एफआईआर संख्या [5009/2025] के दर्ज किए कराए जाने के समय पुलिस द्वारा बरते गए गैर जिम्मेदारी पूर्ण रवैए, पुलिस के कुप्रबंधन, एवं दिल्ली रेलवे पुलिस स्टेशन में पीड़ित के उत्पीड़न के संबंध में एक शिकायत पत्र के जरिए युवक द्वारा आन ड्यूटी तैनात रहे संबंधित गैर जिम्मेदार जनों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की गई है।
प्राप्त समाचार के मुताबिक सुपर फास्ट ट्रेन में यात्रा के दौरान रिजर्वेशन बोगी से आईआईटी दिल्ली के छात्र के यात्रा में लैपटॉप चोरी की यह घटना हुई है। जिसमें युवक द्वारा लिखा गया है कि। मैं अपने साथ घटित हुए लैपटाप के चोरी की घटना को लेकर एफआईआर संख्या [5009/2025] दर्ज कराए जाने के लिए सूचित किया जहां मुझे कुप्रबंधन और पुलिस की लापरवाही का सामना करना पड़ा है। उक्त के संबंध में जब युवक द्वारा औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के पत्र लिखा गया है जिसमें यह बताया गया है कि यह एफआईआर मैकबुक [मॉडल: Air M1, सीरियल नंबर: C02GCCCGQ6L4] लैपटाप के के चोरी के संबंध में दर्ज कराई गई थी, जो कि ट्रेन संख्या [12565: बिहार संपर्क क्रांति] में यात्रा के दौरान घटित हुई है। वहीं युवक का कहना है कि जब एफआईआर दर्ज कराने के बाद मुझे अपने लैपटॉप की लोकेशन अपडेट प्राप्त हुई। तब स्वचालित एफआईआर प्रणाली के तहत मुझे दिल्ली रेलवे पुलिस स्टेशन के एसएचओ का संपर्क नंबर प्रदान किया गया, जिसे मैंने तुरंत कॉल किया। लेकिन स्पष्ट मार्गदर्शन देने के बजाय, एसएचओ द्वारा अपने कर्तव्य पालन में घर लापरवाही बरती गई एवं युवक को फोन पर ही इधर-उधर घुमाने की पूरी कोशिश की गई। साथ ही उनके द्वारा तब मुझे थाने जाने की बात की गई जब मेरे पिता ने उनसे बात की,लेकिन यह उनके द्वारा रात के काफी देर बाद आने के लिए कहा गया।जब कि मैं रात 10:00 बजे से 11:30 बजे के बीच थाने पहुँचा, तो वहाँ कोई सहायता हमें उपलब्ध नहीं थी। ड्यूटी पर तैनात अधिकारी द्वारा अ–सहयोगी, एवं उदासीन और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार पीड़ित युवक के साथ कर रहे थे। युवक से जो तैनात कर्मी मिले उन्होंने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी ही नहीं है। और युवक के एफआईआर पर कोई भी कार्रवाई करने से अस्पष्ट तौर पर इनकार कर दिया। गया वहीं युवक ने बार-बार विनती की, लेकिन आन ड्यूटी तैनात जिम्मेदारों ने पीड़ित की एक नहीं सुनी युवक ने कहा उन्होंने मेरी एक न सुनी और मुझे बिना किसी सहायता के ही वहां से टालने की कोशिश की। साथ ही बताया कि युवक के पास इस पूरी घटना का वीडियो प्रमाण के रूप में मौजूद है, जिसमें साफ दिखता है कि पुलिस मेरी बात सुनने के लिए तैयार नहीं थी।लगातार इंतजार करवाने और इधर-उधर भेजने के बाद, अंततः युवक को बताया गया कि उनकी एफआईआर गाज़ियाबाद स्थानांतरित कर दी गई है, और दिल्ली रेलवे पुलिस अब इस मामले की ज़िम्मेदार नहीं है। इस प्रकार, एक गैर जिम्मेदार रवैए के साथ बिना किसी समाधान के ही पीड़ित को छोड़ दिया गया है,जबकि युवक को देर रात आने के लिए कहा गया था।
आगे युवक ने लिखा है कि इस पूरी घटना के कारण उसे अनावश्यक उत्पीड़न, समय की बर्बादी और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा है। अतः युवक के द्वारा इस पूरे मामले में वृहद जांच एवं त्वरित कार्यवाही की मांग किए हैं: जिनमें संबंधित। 1. ड्यूटी पर तैनात अधिकारी द्वारा एफआईआर पर कार्रवाई न कर उनके द्वारा अपने कर्तव्य पालन में गैर-जिम्मेदार व्यवहार के लिए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाने।
2. एवं यदि कोई कार्रवाई नहीं की जानी थी, तो देर रात थाने आने के लिए बुला उत्पीड़न किए जाने?
3. दिल्ली और गाज़ियाबाद पुलिस के बीच समन्वय की कमी होने पर सवाल आखिर ऐसा क्यों है, सहित पीड़ितों को अनावश्यक रूप से परेशान किए जाने की बात लिखी है?
इसके साथ ही संबंधित वरिष्ठ अधिकारी से अनुरोध किए हैं कि इस मामले में संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारी के खिलाफ उचित दंडात्मक विभागीय कार्रवाई कर यह सुनिश्चित करें कि पीड़ित के एफआईआर पर बिना किसी देरी के समय रहते उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। साथ ही शिकायत की पुष्टि कर खुद को आगे की कार्यवाही की जानकारी प्रदान करने की अपेक्षा किए हैं।
जिसमें संलग्न के रूप में एफआईआर की प्रति, एवं वीडियो भी प्रमाण के रूप में भेजे हैं ।शिकायतकर्ता रणजीत मिश्र,
गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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