
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग के कृतकार्य आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो. करुणेश शुक्ल का हृदय गति अवरुद्ध हो जाने से 84 वर्ष की अवस्था में असामयिक निधन हो गया। आचार्य शुक्ल अपने आप में बौद्ध वाङ्मय के समृद्ध ग्रंथालय थे तथा विश्वविख्यात नागार्जुन बौद्ध शोध संस्थान के संस्थापक तथा निदेशक थे। इस संस्थान में अनेक ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्राचीन पाण्डुलिपियां थीं। आचार्य प्रो.करुणेश शुक्ल ने देश ही नहीं अपितु विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इस संस्कृत विभाग की प्रतिष्ठा की स्थापना की। निश्चित ही उनके निधन से प्राच्यविद्या की एवं गोरखपुर की संस्कृत परम्परा की अपूरणीय क्षति हुई है।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में गुरुवार को आचार्य शुक्ल के असामयिक निधन पर एक शोक सभा आयोजित की गई। जिसमें विभागाध्यक्ष प्रो. राजवंत राव द्वारा प्रो. शुक्ल द्वारा कृत प्रशस्त्य कार्यों का स्मरण किया तदुपरान्त मौन धारण का दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की।
इस अवसर पर विभागीय समस्त शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।
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