भलुअनी/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
टेकुआ चौराहा पर सावित्री बाई फुले की 194 वीं जयंती राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में पुष्प अर्पित कर मनाया गया। सामाजिक कार्यकर्ता रामकिशोर चौहान ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने 6लड़कियों के साथ 14 जनवरी 1848 में पूना के बुधवार पेठ निवासी तात्यासाहब भिंडे नामक ब्राह्मण के मकान में एक कन्या पाठ शाला का शुभारंभ किया गया। इसकी शुरुआत एक लम्बे संघर्ष के बाद हो सका।चौहान ने आगे कहा कि फुले अपने महान कार्यों से भारतीय नारी के पैरों में अनादिकाल से डाली गई परतंत्रता की बेड़ियो को खण्ड -खण्ड कर दिया । आज भारतीय नारी सम्मान के साथ जीना सीखा और पुरुषों के साथ मिलकर हर क्षेत्रों में प्रगति के पथ पर स्पर्धा हासिल कर आसमान के बुलंदियों को छू रही है। सेवा निवृत्त शिक्षक रामनछतर प्रसाद ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने देश में अपने क्रांतिकारी समाज सुधार के कार्यों से नारी जगत के लिए एक महान आदर्श स्थापित किया। उनका योगदान समाज के लिए मिसाल है, जिसके दिव्य प्रकाश में स्वतन्त्र होकर खुली हवा में सांस लेने में शिक्षा के क्षेत्र में नारी शक्ति का सौभाग्य मिला है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से हरिशरण पासवान, डॉ मुकेश चौहान, शंभू खरवार, रामनरेश यादव, बैरिस्टर शर्मा, राजेश चौहान, शत्रुध्न चौहान, दयालू, जोखू, रामहित यादव, मुन्नीलाल, शिवानंद चौहान, शिवचन्द चौहान, भीम कुमार भारती, सहित आदि लोग शामिल रहे।
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