बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)l अचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम पर तिलहन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खाद सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत समूह प्रथम पंक्ति प्रदर्शन सरसो प्रजाति पन्त श्वेता एवं आर एच -749 का प्रशिक्षण एवं बीज वितरण किया गया ।साथ ही कृषको को प्रशिक्षण भी दिया गया।केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक/अध्यक्ष डॉ बी पी शाही ने बताया कि क्लस्टर प्रदर्शन हेतु राई/सरसों रबी तिलहनी फसलों में प्रमुख हैं। इसकी खेती करके अतिरिक्त लाभ अर्जित किया जा सकता है।इसकी खेती सीमित सिंचाई की दशा में अधिक लाभदायक होती है ।वरिष्ठ वैज्ञानिक डा पी के सिंह प्रशिक्षण में सरसों का लगाने का समय,बीज की मात्रा,बीज शोधन के लिए 2.5ग्राम थीरम प्रति किग्रा बीज उपचारित करके बुआई करे यदि थीरम न हो तो मेन्कोजेब 2ग्राम प्रति किग्रा बीज उपचारित किया जा सकता है ।ङा शैलेंद्र सिंह सरसों की प्रजाति पन्त श्वेता की फसल 110-115दिनो में पक तैयार हो जाती है।इसकी उत्पादन क्षमता 10-15कुन्तल/हेक्टेयर है ।एक एकड़ क्षेत्रफल के लिए लगभग 2.5किग्रा बीज की आवश्यकता होती है । सरसो की बुआई अक्टूबर माह में की जानी चाहिए । इसी के संदर्भ में कृषि विज्ञान केंद्र केंद्र के वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार ने खाद एवं उर्वरक के बारे मेँ विस्तार से बताया । एक एकड़ में 48किग्रा नत्रजन,25किग्रा फास्फोरस एवं 25किग्रा पोटाश देना चाहिए । डा नन्दन फास्फोरस के जगह सिगंल सुपर फास्फेट का प्रयोग करना चाहिए ।बुआई के समय 80किग्रा/एकड़ जिप्सम अवश्य प्रयोग करे।साथ ही 20कुन्तल सड़ी गोबर या कम्पोस्ट की खाद डाले। ङा अरुण राजभर खरपतवार प्रबन्धन के बारे मेँ विस्तार से बताया गया । प्रत्येक कृषक को सरसो प्रजाति – पन्त श्वेता एवं बीज वितरण किया गया । प्रशिक्षण में राना चेतन,दिनेश मौर्य, 15-20कृषको ने भाग लिया ।
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