Tuesday, October 28, 2025
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महिला को सशक्त करने हेतु लैंगिक असमानता को दूर करना होगा: प्रो. पूनम टंडन

वास्तव में महिला सशक्त है, आवश्यकता है कि जागरूक करने की : प्रो.त्रिपाठी

मनोविज्ञान विभाग में “महिला एवं मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर व्यख्यान का आयोजन

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर और मिशन शक्ति फेस 5 के संयुक्त तत्वावधान में मनोविज्ञान विभाग सोमवार को ” महिला एवं मानसिक स्वास्थ्य ” विषय पर व्यख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष कुलपति प्रो. पूनम टंडन, मुख्य वक्ता प्रो. कैलाश नाथ त्रिपाठी, पूर्व विभागाध्यक्ष, बरकतउल्ला विश्विद्यालय, प्रो. विनीता पाठक, नोडल अधिकारी, मिशन शक्ति फेज़ 5, प्रो. राजवंत राव, अधिष्ठाता, कला संकाय एवं प्रो. अनुभूति दूबे, अधिष्ठाता, छात्र कल्याण उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि प्रो. कैलाश नाथ त्रिपाठी ने क्या महिला को सशक्त करने की आवश्यकता है? के प्रश्न से अपना उद्बोधन शुरू किया। जिसके उत्तर में उन्होंने कहा कि वास्तव में महिला सशक्त है, आवश्यकता यह है कि उन्हें जागरूक किया जाये। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को अनुमानित अवधारणा बताते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ को महिलायों के सन्दर्भ में ग्लास सीलिंग प्रभाव के द्वारा समझा जा सकता है, जहाँ सामाजिक परिस्थितियां महिलायों में मानसिक समस्याएं उत्पन्न करते हैं।
प्रो. त्रिपाठी ने महिलायों में मानसिक बिमारियों के विभिन्न कारणों को इंगित करते हुए महिलायों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने हेतु सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की बात रखी।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने मिशन शक्ति के विभिन्न कार्यकर्मों की सराहना करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महिला शोषण का मूल कारण लैंगिक असमानता को बताया।
प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि महिला को सशक्त करने हेतु लैंगिक असमानता को कम करना होगा। लैंगिक समानता का प्रसार करते हुए विश्वविद्यालय समाज के लिए एक अनुकरणीय भूमिका निभाता है। जहाँ छात्राओं द्वारा 80 प्रतिशत से अधिक स्वर्ण पदक जीते जाते हैं।
कुलपति ने इस बात पर जोर डाला कि किसी मानसिक समस्या से प्रभावित होना या न होना स्वयं महिलायों के द्वारा निर्धारित होता है।
इसके पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. धनञ्जय कुमार, विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य को एक स्टिग्मा माना गया है। जिसे महिलाओं को अधीनस्‍थ रखने हेतु एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा रहा I
अंत में मनोविज्ञान विभाग के डॉ. गिरिजेश यादव ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रियंका गौतम ने किया। कार्यक्रम में प्रो. एस. के. सिंह , डॉ विस्मिता पालीवाल, डॉ. दुर्गावती यादव , डॉ. शैलेश सिंह, डॉ. राम कीर्ति सिंह, डॉ. गरिमा सिंह, डॉ. अमित त्रिपाठी तथा अन्य शिक्षक तथा छात्र- छात्राएं उपस्थित रहीI

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