बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
बरहज तहसील क्षेत्र के गाँव करायल, शुक्ल में चल रहे तीन दिवसीय श्री राम कथा के पहले दिन अनंत पीठ से पधारे पं विनय मिश्र ने भगवत कथा कहते हुए कहा कि, यह शरीर अधम है, गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने रामचरितमानस में स्पष्ट लिखा है कि क्षितिज जल पावक गगन समीरा
पंच रचित यह अधम शरीरा, इस अधम शरीर से जब तक आप, धर्म कार्य नहीं करेंगे तब तक यह शरीर अधम है। इस मानव शरीर से धर्म के कार्यों में लगे रहना चाहिए क्योंकि परमात्मा ने बड़ी ही करुणा करके यह सुंदर मानव तन दिया है। गोस्वामी जी ने कहा कि सोई पवन सोई सुभग शरीर नर तन पाई भजही रघुवीर, आगे उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि केवल सुंदर तांपा लेने से शरीर की सुंदरता तो रहेगी लेकिन शरीर के साथ-साथ मन का भी सुंदर होना आवश्यक है। तन सुंदर हो मन सुंदर हो इस मानव शरीर से परमात्मा के नाम रूप रूप लीला धाम की चर्चा सुने और करें तब यह शरीर पावन है, नहीं तो तन पाने का कोई सार्थक जीवन नहीं है, क्योंकि जन्म गए हरि भक्त बिनु, भगवान का भजन सत्संग ही जीवन को सार्थक बनाएगा। छपरा से पधारे हुए विद्याभूषण महाराज ने मानस के विभिन्न भावों को स्पष्ट किया। वही मऊ जनपद से पधारे हुए हरि ओम शरण महाराज ने चारों भाइयों के नामकरण एवं संस्कार की चर्चा की, उन्होंने कहा कि चारों भाइयों का नाम गुरु वशिष्ट ने रखा। वही आजमगढ़ से पधारे सुरेश मिश्रा ने भगवान की बाल लीला की कथा का रसपान कराया, भगवान की बाल लीला की भावपूर्ण कथा श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। बरेली से पधारे हुए उमेश महाराज में राम जन्म पर सुंदर चर्चा की, उन्होंने कहा कि भगवान के जन्म के समय दसों दिशाएं अनुकूल हो गई और चारों तरफ खुशी की लहर छा गई। मऊ से पधारे हुए श्याम नारायण शाही ने अहिल्या उद्धार का बड़ा ही सुंदर वर्णन कीया । कथा के आयोजन अंगद प्रसाद द्विवेदी ने मानस की पूजा करके कथा का शुभारंभ कराया। उन्होंने बताया कि यह कथा प्रातः काल और सायं कॉल तीन दिनों तक चलेगी। उन्होंने श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया, कथा के दौरान प्रभाकर द्विवेदी, रामनिवास उपाध्याय ,जयचंद शुक्ल, गजेंद्र शुक्ल, सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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