भागलपुर /देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) मानवाधिकार आयोग ने देवरिया जिले में हुई मुठभेड़ की जांच का आदेश दिया है । आयोग ने कहा है कि मामले में लगे आरोपों को देखते हुए इसकी जांच आवश्यक है । आयोग ने 12 दिसंबर 2024 तक एस पी, देवरिया से जांच रिपोर्ट मांगी है । ज्ञात हो कि देवरिया जिले में हुई मुठभेड़ परिस्थितियों को देखते हुए उस पर संदेह जताते हुए, इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने मामले को मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराया था । देवरिया जिले में मोटरसाइकिल से गिरोह बनाकर छेड़खानी करने के आरोपी दो युवकों को रविवार की रात 11.30 बजे पुलिस मुठभेड़ के दौरान पैर में गोली मारकर घायल कर दिया गया था । पुलिस के अनुसार ऋतिक पुत्र दीनानाथ एवं धीरज पटेल पुत्र राधाकृष्ण पटेल निवासी बैकुण्ठपुर, बंजरिया टोला थाना तरकुलवा रात करीब 11.15 बजे तरकुलवा थाना क्षेत्र के कंचनपुर तिराहे से देहात की तरफ जा रहे थे। थाना तरकुलवा, रामपुर कारखाना एवं महुआडीह की पुलिस इन आरोपियों की तलाश में लगी थी। पुलिस को देखते ही दोनों युवक मोटरसाइकिल से भागने लगे, पुलिस ने जब इनका पीछा किया तो युवकों ने पुलिस पर गोलियां चलायीं किन्तु पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान बदमाशों पर गोली चलाई जो उनके पैरों में लगी । गत 4 अक्टूबर 2024 को थाना तरकुलवा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम नरायनपुर में कुछ मनचले युवकों द्वारा स्कूली छात्राओं के साथ छोड़खानी की गई थी। इस मामले में स्वतंत्र मिशन सेन्ट्रल एकेडमी सिसवा नरायनपुर के प्रबंधक की तहरीर के आधार पर थाना तरकुलवा अभियोग पंजीकृत किया गया था। इस मामले में अधिवक्ता डॉ गजेंद्र सिंह यादव ने कहा था कि उक्त मामले की मुठभेड़ भी अन्य मुठभेड़ों की तरह ही संदिग्ध प्रतीत होती है, क्योंकि जिस तरह का घटनाक्रम पुलिस द्वारा बताया जा रहा है उसमें और दूसरे एनकाउंटर में कोई विशेष अंतर दिखाई नहीं दे रहा है । भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों में जिस अपराध के लिए अधिकतम दण्ड एक वर्ष है उस मामले में आरोपी की टांग में गोली मारकर उसे जीवन भर के लिए लँगड़ा बनाना और बिना किसी न्यायिक कार्यवाही के पुलिस द्वारा सीधे गोली मारने का दंड देना मानवाधिकार का हनन तो है ही ,साथ ही पुलिस द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग भी है । मामले में आरोपियों के पास जो हथियार पाए गए हैं उनके साथ ही पुलिस ने जिन हथियारों से आरोपियों को गोली मारने का दावा किया है उन्हें भी जमा कराया जाए । साथ ही तत्काल आरोपियों के हाथों का फॉरेंसिक सैंपल लिया जाए ताकि यदि आरोपियों ने पुलिस पर गोली चलाई है तो हाथों पर आए बारूद के निशानों की जांच हो सके । पकड़े गए आरोपियों का कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं है । इस बात की भी जांच की जाए कि आरोपी देवरिया में कब से रह रहे हैं, क्योंकि उनका कहना है कि वह बाहर रहकर नौकरी करते हैं ऐसे में छेड़खानी की किसी गैंग का आदतन सदस्य होने की संभावनाएं बहुत कम हैं । आरोपियों ने छेड़खानी का अपराध किया है या नहीं , इसके साथ ही इस बात की भी जांच होना आवश्यक है कि मुठभेड़ असली है या फर्जी । इसके लिए मानवाधिकार आयोग से निवेदन किया गया है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके ।
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