November 21, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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मीट@आगरा: जूता उद्योग का तीन दिवसीय महाकुम्भ 8 नवंबर से

  • दुनिया के 35 से अधिक देशों के 200 से अधिक एग्जीबिटर्स होंगे शामिल
  • आगरा ट्रेड सेंटर में एक छत के नीचे नजर आएगा विश्व का फुटवियर उद्योग

आगरा (राष्ट्र की परम्परा)। जूता उद्योग के महाकुम्भ के रूप में विख्यात लेदर, फुटवियर कंपोनेंट्स एन्ड टेक्नोलाॅजी फेयर ‘मीट एट आगरा’ के 16वें संस्करण की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के आयोजकों ने शहर के होटल में आयोजित प्रेसवार्ता बताया कि आगरा फुटवियर मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैम्बर (एफमेक) द्वारा सींगना स्थित आगरा ट्रेड सेंटर पर आयोजित हो रहे तीन दिवसीय फेयर मीट एट आगरा 08 से 10 नवम्बर 2024 तक चलेगा।
एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने एक सवाल के जवाब में बताया कि डेढ़ दशक की अपनी यात्रा में इस आयोजन ने देश में ही नहीं दुनियां में भी अपनी खास पहचान बनाई है। लगभग 35 से अधिक देश और लगभग 200 से अधिक एग्जीबिटर्स इस साल इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। इस साल लगभग 6 हजार ट्रेड विजिटर्स और 20 हजार से अधिक फुटफाॅल के की संभावना है। भारत विश्व की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है इसको रफ्तार देने में आगरा का जूता उद्योग अहम भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार और ओद्योगिक संगठनों के इन प्रयासों से मौजूदा 26 अरब डाॅलर का भारतीय फुटवियर बाजार 2030 तक 47 अरब डाॅलर तक हो सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत में गैर-चमड़े के जूते जैसे खेल के जूते, दौड़ने के जूते, कैजुअल वियर और स्नीकर्स की मांग में हो रही वृद्धि का फायदा उठाकर हो सकती है।
फेयर आॅर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन गोपाल गुप्ता ने बताया कि आगरा के जूता कारोबारियों के लिए खुशी की बात है कि वर्ल्ड फुटवियर कलेण्डर में शामिल ‘मीट एट आगरा’ का भारत के लोगों को ही नहीं दुनिया के 35 से अधिक देशों के जूता उद्योग से जुड़े कारोबारियों को इस फेयर का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार का ‘मीट एट आगरा’ कई मायनों में खास होगा। न्यू टेक्नोलाॅजी, न्यू इनोवेशंस और नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट के न्यू ट्रेंड् फुटवियर इंडस्ट्री में बिजनेस ग्रोथ से जुड़े हर जरुरी सवाल का जबाब इस फेयर में एक छत के नीचे मिलेगा।
एफमेक के कन्वीनर कैप्टन ए.एस. राणा ने कहा कि आज हम चाइना के एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़े हैं इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह भारत का टर्न है। टाटा, रिलायंस, वालमार्ट और फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों ने चाइना से आयात पूरी तरह बंद कर चुकी हैं। ये कंपनियां आज भारतीय प्रोडक्ट पर निर्भर हैं। यही कारण है कि हमारा घरेलू बाजार लगातार ग्रोथ हासिल कर रहा है। अब वक्त है हम अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी वैश्विक बाजार को ध्यान में रखकर विकसित करें।

टेक्नीकल सेशंस में दिखेगा जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य
एफमेक महासचिव राजीव वासन ने कहा कि फुटवियर कंपोनेंट इंडस्ट्री जब मजबूत होगी तभी अच्छा जूता बन सकता है। यह फेयर कंपोनेंट इंडस्ट्री के और मेन्युफक्चर्स के प्रोत्साहन में एक सेतु की तरह काम कर रहा है। फेयर में टेक्नीकल सेशंस भी होंगे जिनमें विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे, जिनमें डिजाइन ट्रेंड्स, मैन्युफैक्चरिंग तकनीक, मार्केटिंग स्ट्रेटजी जैसे विषय शामिल हैं।

भारत में फुटवियर पर प्रति व्यक्ति खर्च अन्य देशों की तुलना में है बहुत कम
एफमेक सचिव ललित अरोड़ा ने बताया कि भारत में जूतों-चप्पल पर खर्च अभी बेहद कम है, एक रिपोर्ट के अनुसार यहां इसपर प्रति व्यक्ति खर्च 1500 रुपए के लगभग रहता है जो दुनिया के बाकी बाजारों के मुकाबले काफी कम है। साथ ही भारतीय बाजारों में करीब 70 फीसदी हिस्से पर चमड़े के जूते चप्पलों का ही कब्जा है। इस उद्योग से 45 लाख लोग जुड़े हुए हैं। उनमें 40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं।

सस्ते आयात पर लगाम जरूरी है, भारत में चीन और दूसरे देशों से बड़े पैमाने पर आयात होता है। हमारा मानना है कि तीन डाॅलर आयात मूल्य से कम के जूतों-चप्पलों पर कस्टम ड्यूटी 35 फीसदी कर दी जानी चाहिए और घरेलू उद्योग को न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा दिया जाना चाहिए। इससे देश के उत्पादकों को लाभ होगा। भारतीय फुटवियर सेगमेंट पहले से ही तेज गति से विस्तार कर रहा है। इस तरह के आयोजन इस उद्योग के विकास को अगले स्तर तक ले जाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से एफमेक के सुधीर गुप्ता, अनिरुद्ध तिवारी, एफएएफएम के अध्यक्ष कुलदीप कोहली, महासचिव नकुल मनचंदा, रोमी मगन, आस्मा के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह लवली आदि उपस्थित रहे।