आचार्य रामचंद्र तिवारी के जन्म शताब्दी पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करेंगे हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल
गोरखपुर विश्वविद्यालय में होगा संवेदना और आलोचना से साक्षात्कार
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। ‘ हिन्दी भाषा और साहित्य: आलोचना का मूल्य और डॉ. रामचन्द्र तिवारी ’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आचार्य रामचंद्र तिवारी के जन्म शताब्दी वर्ष पर प्रायोजित है। तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुक्रवार 4 अक्टूबर से 6अक्टूबर तक संवाद भवन में सुनिश्चित है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हीरक जयंती वर्ष पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के बारे मे प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि यह संगोष्ठी आचार्य रामचंद्र तिवारी की स्मृति में उनके जन्म शताब्दी वर्ष पर आयोजित है। उन्होंने कहा कि हिन्दी विभाग की पूरे देश में प्रतिष्ठा रही है। आचार्य रामचंद्र तिवारी हिन्दी साहित्य जगत के बेहद प्रतिष्ठित लेखक-आलोचक रहे हैं उनकी पुस्तकें पूरे देश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं।
कुलपति प्रो. टंडन ने कहा कि वह हमारे हिन्दी विभाग के संस्थापक आचार्यों में से एक रहे हैं। उनके महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि उनके पहले शोध छात्र आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी पद्मश्री से सम्मानित हुए और साहित्य अकादेमी के हिन्दी भाषा से पहले अध्यक्ष चुने गए।
उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी का अभिष्ट है कि शोधार्थियों को अध्ययन व शोध की नई दिशा प्राप्त हो। इस संगोष्ठी के संयोजक प्रो. विमलेश कुमार मिश्र हैं
संगोष्ठी का उद्घाटन शुक्रवार सुबह 10:30 बजे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल करेंगे। पद्मश्री प्रो.विश्वनाथ प्रसाद तिवारी एवं केंद्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी भी उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करेंगे। इस सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन करेंगी।
कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. राजवंत राव ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय केवल अपनी ऊंची इमारत से नहीं बल्कि महान परंपराओं से ऊंचा होता है। विगत 45 वर्षों में विश्वविद्यालय में काफी संख्या में नए शिक्षक आए हैं, जिन्हें आचार्य रामचंद्र तिवारी पर 3 दिन चलने वाली संगोष्ठी से विश्वविद्यालय की महान विरासत से अवगत होने का अवसर मिलेगा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय लोकतांत्रिक तार्किक और सामाजिक उत्तरदायित्व को लेकर चलने वाली संस्था है। यह संगोष्ठी भी कुलपति द्वारा टाउन और गाउन को एक करने की कोशिश में एक बड़ा सदप्रयास है। उनकी निरंतर कोशिश रहती है कि समाज की आकांक्षाओं के अनुरूप शोध व शिक्षा को दिशा दी जा सके।
संगोष्ठी के संयोजक प्रो. विमलेश कुमार मिश्र ने बताया कि इसमें देशभर के विद्वान साहित्यकार वक्ता के रूप में शामिल होंगे। विशेष बात यह है कि इसमें पांच विद्वान हिन्दी भाषी राज्यों से तो पांच हिंदीतर राज्यों से होंगे। हिंदीतर राज्यों से जनजातीय केंद्रीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति प्रो. टीवी कट्टीमनी, प्रो.आरएस सर्राजू, त्रिपुरा से प्रो. मिलनरानी जमातिया, महाराष्ट्र से प्रो. जोगेंद्र सिंह विशेन, प्रो. विजय प्रसाद अवस्थी, कलकत्ता से प्रो.अमरनाथ शर्मा, खंडवा से प्रो. श्रीराम परिहार आदि सम्बोधित करेंगे।
संगोष्ठी के दौरान लगेगी पुस्तक प्रदर्शनी
हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने एक सवाल के जवाब में बताया कि की हिंदी के मूर्धन्य आलोचक प्रोफेसर नामवर सिंह सार्वजनिक रूप से आचार्य रामचंद्र तिवारी को अपना बड़ा भाई मानते थे। नामवर जी यह स्वीकार करते थे कि आचार्य रामचंद्र तिवारी द्वारा लिखी गई प्रत्येक पंक्ति को वह ध्यान से पढ़ते हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत शास्त्री जी भी आचार्य रामचंद्र तिवारी की लेखनी की प्रशंसा करते थे।
संगोष्ठी के दौरान संवाद भवन के समीप चार प्रकाशकों के द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी लगायी जाएगी। विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए यह प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केंद्र साबित होगी। पुस्तकें देखने व खरीदने का यह सुनहरा अवसर होगा। उन्होंने बताया कि अबतक 200 से अधिक प्रतिभागियों ने संगोष्ठी हेतु ऑनलाइन पंजीकरण करा लिया है। संगोष्ठी के दौरान भी ऑफलाइन पंजीकरण प्रक्रिया चलेगी।
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