बुलडोज़र क्या क्या नहीं करता है,
पहले तो घर की नींव खोदता ही है,
फिर इमारत भी खड़ी करवाता है,
और फिर उसी को खुद ढहाता भी है।
कहीं कहीं पाँच सौ करोड़ तो कहीं
आठ सौ करोड़ भी ध्वस्त करता है,
और कहीं कहीं तो हज़ारों करोड़,
की बहुमंज़िला इमारत गिराता है।
काश! इन करोड़ों, अरबों की सम्पत्ति
पर बुरी नज़र किसी की न लग पाती,
इन्हें सही सलामत रख अस्पताल,
स्कूल खोल देश की भलाई की जाती।
राज्यसत्ता जब बहुमंज़िला इमारतों
को गिराने का आदेश दे सकती है,
तो इन्हें वैसे ही ज़ब्त भी कर सकती है,
सरकार ऐसा क़ानून भबना सकती है।
सम्पत्ति को धराशायी करने के बजाय,
न्यायालय को वजह समझनी होगी,
देश का नुक़सान न हो इस तरह,
ऐसी दलील उदाहरणार्थ देनी होगी।
शत्रुसम्पत्ति की राज्य रक्षा करता है,
अवैध सम्पत्ति भी रक्षा कर सकता है,
उसे सरकार की सम्पत्ति मान आदित्य
उसे उपयोग जनहित में कर सकता है।
- कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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