
बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
रविवार को मोहाव स्थित पूर्व कामरेड काशीनाथ कुशवाहा के निवास पर कामरेड अतुल कुमार अंजान को लेकर विचार एवं संघर्ष गोष्टी का आयोजन किया गया ।
बताते चलें कि कामरेड अतुल कुमार अंजान के जीवन संघर्षों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सह सचिव अरविंद कुशवाहा द्वारा अतुल कुमार अंजान -विचार एवं संघर्ष गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे सैकड़ो कामरेड उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता चंद्रभान श्रीवास्तव ने किया, जबकि कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कामरेड इम्तियाज बेग ने शिरकत की।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए खेत मजदूर यूनियन के प्रदेश सचिव विनोद कुमार सिंह ने कहा कि अतुल कुमार अंजान सीपीआई के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय सचिव थे । वे अखिल भारतीय किसान सभा के 5 बार राष्ट्रीय महासचिव भी बने।उन्होंने कहा कि लखनऊ यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में 1977 से राजनीति की शुरुआत करने वाले अतुल कुमार अंजान को वामपंथी राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था।करीब आधा दर्जन भाषाओं के जानकार अंजान एक प्रखर वक्ता थे,और हिंदी पट्टी में पार्टी की बुलन्द आवाज थे।अंजान उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पुलिस-पीएसी विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक थे, उन्होंने राजनीतिक सफर के दौरान चार साल नौ महीने जेल में बिताये थे।
अब वो समय आ गया हैं कि हम सभी साथी उनके संघर्षों को आत्मसात कर समाज को समरसता की ओर ले जाने का कार्य करे। इसी क्रम में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चंद्रभान श्रीवास्तव ने कहा कि अतुल कुमार अंजान ने 1997 में त्रिशुर राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव बने और 2016 तक इसी पद पर बने रहे। वे किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने आगे बताया कि स्वामीनाथन आयोग के एकमात्र किसान सदस्य के रूप में उनका योगदान उल्लेखनीय था, जिसमे किसानों की उपज के लिए एमएसपी सहित कई सिफारिशें की गई थी। अब वो समय आ गया हैं कि उनके संघर्षों को आगे बढ़ाने के लिए हम सभी किसानों के हक की लड़ाई लड़े।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कामरेड इम्तियाज बेग ने बताया कि अंजान अपने जीवन मे देशभर में छात्र आंदोलन , किसान आंदोलन और पार्टी को खड़ा करने और वामपंथ के विस्तार में अहम भूमिका निभाई। वे दक्षिणपंथी-फांसीवादी ताकतों के खिलाफ एक अडिग योद्धा थे।
कार्यक्रम के आयोजनकर्ता व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सह सचिव अरविंद कुशवाहा ने अतुल कुमार अंजाम के जीवनसंघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंजान साठ के दशक के अंत मे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए, और अपनी अंतिम सांस तक पार्टी में बने रहे।
अंजान 1989 में कोलकाता में आयोजित 14वी कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के लिए चुने गये थे।इसके बाद 1992 में हैदराबाद में आयोजित 15वी कांग्रेस में राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के लिए चुने गए, आगे उनके संघर्ष को देखते हुए 1995 में 16वी कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिवालय के सदस्य नियुक्त किए गए, वे वर्षो तक इस पद पर कायम रहे। उन्होंने बताया कि अंजान अपनी राजनीतिक और वैचारिक दृढ़ता और छात्र आंदोलनो का नेतृत्व करने की क्षमता के कारण व 1979 में लुधियाना सम्मेलन में एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने,और इस पद पर बने रहकर उन्होंने छात्रों के हितों की लड़ाई लड़ी।
इस दौरान कामरेड आजाद अंसारी, कामरेड रतन जायसवाल, श्यामदेव यादव,शिवलोचन, धर्मदेव दुबे,कलेक्टर शर्मा आदि ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया ।
गोष्टी में अनिल निषाद,रामकेश्वर,रतन जायसवाल,अकील,कमलेश चौरसिया, रविन्द्र,नन्दकिशोर सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला मंत्री कामरेड आनन्द प्रकाश चौरसिया ने किया।
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