November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

शांतिप्रियता सुख संतोष देती है

आशा व निराशा दोनों ही की सोच
मानव जीवन में कभी न कभी छूटती है,
आशा की ज्योति अंधेरी राहों में भी
जीवन को प्रकाशित कर देती है।

निराशा भी आशा बढ़ने पर हमेशा
जीवन के दुख दर्द समेट लेती है,
जीवन में सकारात्मक पहलू की
दिशा हर तरह से ख़ुशियाँ देती है।

आशायें चाहे कम हों या ज़्यादा
निराशा से हमेशा बेहतर होती हैं,
आशा जहाँ प्रोत्साहित करती है,
निराशा सदा निरुत्साहित करती है।

क्रोध में इंसान ग़लतियाँ करता है,
क्षमाशीलता संबंध आगे बढ़ाती है,
शांतिप्रियता सुख संतोष देती है,
वहीं कलह हर तरह संताप देती है।

आदित्य जीवन का आनंद लेते रहना
सर्वश्रेष्ठ अवयव माना जाता है,
जीवन का विश्लेषण करते रहना,
हर तरह से मुश्किलें पैदा करता है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ