Friday, October 31, 2025
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मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के पूर्वांचल में बढ़ रहे हैं रोगी

•डॉ. अमरेश कुमार सिंह •नंदिनी सिंह •डॉ सुशील कुमारी

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। “भारत सरकार के टीबी उन्मूलन लक्ष्य में ड्रग रिजिस्टेंस ट्यूबरक्यूलोसिस (डीआर टीबी) यानि दवाओं से प्रतिरोधी हो चुकी बीमारी एक बड़ी समस्या है। टीबी की दवाइयां चार से छह महीने तक लगातार चलती हैं और इतने लंबे उपचार काल के दौरान मरीज अक्सर अपनी दवाइयां अधूरी छोड़ देते हैं। जो कि इस बीमारी के जीवाणु को दवा से प्रतिरोधी बना देता है। इसके अलावा भी इसके कई कारण हो सकते हैं। जीवाणु के अंदर पाए जाने वाले जीन्स में उत्परिवर्तन हो जाता है। जो दवाइयों को बेअसर कर देता है।”
उक्त बातें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्राणी विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सुशील कुमार, शोध छात्रा नंदिनी सिंह और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अमरेश कुमार सिंह द्वारा किए गए एक शोध में सामने आई हैं।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि अनुसंधान के अंतर्गत पूर्वांचल के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के आईआरएल लैब में 498 मामलों की जांच की गई। जिनमें से कुल 299 (60%) नमूने पॉजिटिव पाए गए। उन्हें आगे एक अन्य परीक्षण लाइन प्रोब एसे के लिए चुना गया। जिनमें से हमें 34 (11.7%) मामले मिले। क्योंकि आइसोनियाज़िड (INH) नामक दवा से प्रतिरोधी थे। इनमे से 11 (4.2%) ऐसे मामले थे जो एमडीआर टीबी के थे। इनसे पीड़ित मरीज़ सामान्य टीबी रोगियों की तुलना में कम उम्र के थे (33.8±14.8 बनाम 36.8±18.0 वर्ष)। यदि लिंग अनुपात की बात की जाए तो पुरुषों की संख्या एमडीआर टीबी और सामान्य टीबी दोनों में ही अधिक पाई गई।
उन्होंने बताया कि इस अनुसंधान के द्वारा एमडीआर टीवी की संख्या 3.5% देश के अनुपातिक एमडीआर टीवी की संख्या 2.7% से ज्यादा था। यह शोध रिसर्च जर्नल ऑफ़ फार्मेसी एंड टेक्नोलॉजी के मार्च 2024 के अंक में छपा है।

टीबी उन्मूलन के लिए करना होगा साझा प्रयास
शोधकर्ताओं ने बताया कि यदि हम टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो हमें प्रयास करना होगा कि डीआर टीबी के मामलों की संख्या कम हो। इसके लिए अभी भी यह सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक है कि लोग समय-समय पर अपनी दवाइयां लेते रहें, दवाइयां बीच में ना छोड़े और सही दवाइयां ही लें। सरकार तो अपनी ओर से प्रयास कर रही है। परंतु इसके लिए आवश्यक है एक साझा प्रयास की, जिसमें सरकार तथा सभी जागरूक नागरिक साथ आएं।

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