
बेवजह मुस्कुराओगे
तो सताये जाओगे,
ज़माने से थोड़ी सी
बेरुख़ी भी ज़रूरी है।
बेवजह मुस्कुराना अपनी
ही सेहत के लिए ही नहीं,
दूसरों से रिश्ते बनाये रखने
के लिए भी अच्छा होता है।
थोड़ी सी नाराज़गी, बेरूखी
का अपना दबदबा होता है ,
मान मनौवल का सिलसिला
तो इससे ही शुरू होता है ।
कथन अक्षरशः सत्य है कि प्रेम
जताने की ज़रूरत नहीं होती है,
प्रेम जहाँ होता है वहाँ न शब्दों की
न ही ग़ुस्से की ज़रूरत होती है ।
दिलदार ही दिल की
बात समझ सकते हैं,
दिल को जो स्पर्श करे
वो महसूस करते हैं,
दिल की गुफ़्तगू समझ
लेना आसान नहीं है,
दिल में जगह देना
सबके बस का नहीं है।
मैं जो कह रहा हूँ वह हक़ीक़त है,
और दिल के लिए एक नसीहत है,
अगर इत्तिफ़ाक़ है तो क़ुबूल करना,
यह गुफ़्तगू है इसे गुफ़्तगू ही रखना।
अच्छी प्रेरणा की हम प्रशंसा करते हैं,
प्रेरणा खूबसूरत होती है, प्यार भरी भी,
इसीलिए औरों से बिलकुल न्यारी भी,
ऊपर से ही नहीं तन से और मन से भी।
तन की ख़ूबसूरती दिखाई जाती है,
मन की ख़ूबसूरती महसूस होती है,
तन मन जब दोनो निर्मल हो जाते हैं,
आदित्य जग के सुख मिल जाते हैं।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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