July 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

श्री हनुमान जन्मोत्सव

जय श्रीरामा जय श्री रामा,
पवन पुत्र जपते श्री रामा ॥

अज़र अमर अतुलित बल धामा,
करिये सब प्रकार प्रभु पूरन कामा
दिन रात जपे जय जय श्री रामा,
भजिये महाबीर रामभक्त हनुमाना।
जय श्रीरामा…

अष्ट सिद्धि नव निधि दाता तुम,
अंजनिपुत्र पवनसुत भक्त हम,
रूद्र अवतार तेज़ पुंज बलवाना
दिन निशि भजते जो श्री रामा।
जय श्रीरामा….

बल बुद्धि विद्या देने वाले,
भक्तन के दुःख हरने वाले,
राम प्रभू सेवक रुचि राखी,
हृदय बसत रघुवर सुर साखी।
जय श्रीरामा….

चरण शरण दीजै हनुमाना,
सब सुख दायक श्री अभिरामा,
चरणों में बसत, करत भय मुक्त,
राम अनंतनाम,अति शक्तियुक्त।
जय श्रीरामा….

श्री हनुमान अवतरण गावत,
आदित्य नितप्रति तुमहि भजत,
कर दीजै सब पूरन कामा,
जय श्रीरामा, जय श्रीरामा,
पवन पुत्र जपते श्री रामा॥
जय श्री रामा, जय श्रीरामा॥

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सुंदर ही नहीं सत्य और शिव पर भी मनन करना

एक सतत एवं शांतियुक्त आनंदमय
जीवन का श्रोत है मन की सुंदरता,
बरकरार रखना अभ्यास की बात है,
मन की वैचारिक व आंतरिक सुंदरता।

सही सोच विचार, ध्यान मनन से
आंतरिक सुंदरता को प्राप्त करना,
एवं प्रयास करना और दर्दे दिल जैसा
कोई भी मर्ज़ पास में ही नहीं रखना।

हाँ यदि केवल सुंदर पर ही ध्यान
केंद्रित रहेगा तो नकारात्मकता भी
मन में अक्सर पैदा कर सकता है,
सत्य और शिव पर भी मनन करना।

अक्सर मेरे दिल में ख़याल आता है,
जैसे उसको मेरा भी ख़याल आता है,
वही मैं कह भी रहा हूँ कि मैं वह चीज़
नहीं हूँ जिसे यूँ ही भुला दिया जाता है।

उससे जुदाई का इरादा मत करना,
अपने मन को उस से दूर न करना,
आप उसे जैसे भी जब भी जहाँ चाहें,
पर अपना ध्यान उसमें लगाये रखना।

छोटी सी हँसी को ऐ ईश्वर न समझ
मेरे भौतिक जीवन की वास्तविकता,
उतर आओ मेरे मनमंदिर में आभास
दो कि कोई मेरे तन मन में है बसता।

तेरे बिन अब कितना उदास रहता हूँ,
उदासी में ही ध्यान धरुँ रूप मोहन का,
तुम्हें भूल सकने का तो प्रश्न ही नहीं है,
मन अर्पण कर, दास बना हूँ दिल का।

मैने नहीं तुम्हें तो मेरे हृदय ने चुना है,
तुम्हें ही मनमोहन ध्यान से सुना है,
अच्युत हो तुम्हीं, दामोदर हो तुम्हीं,
आदित्य तुमको ही विधाता सुना है।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ ‎