देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) जनपद देवरिया के सभी शिवालयों में भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिली। इसी क्रम में जब सोमनाथ मंदिर गए तो देखा गया की भक्तों की लंबी लाइन लगी हुई दिखाई दी।पूरा शिवालय भक्तों द्वारा हर हर महादेव से गूंज उठा। भक्तों की भीड़ इतनी थी कि लाइन लगभग आधे किलोमीटर तक देखने को मिला।क्या बड़े, क्या बुजुर्ग,क्या बच्चे सभी लाइन में लगे हुए थे और शिवालय में जल चढ़ाने के लिए अपनी बारी का प्रतीक्षा कर रहे थे।
सोमनाथ मंदिर की मान्यता व इतिहास के बारे में
शहर के उत्तर दिशा स्थित ¨सधी मिल कालोनी में सोमनाथ मंदिर है। उनके बगल में वर्ष 1985 में माता पार्वती का भव्य मंदिर बनवाया गया। भोलेनाथ का दर्शन करने के बाद श्रद्धालु माता पार्वती का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं।
पांच सौ साल पहले देवरिया शहर के उत्तर दिशा में घना जंगल था। यहां एक व्यक्ति जंगल के बीच रास्ता भटक कर पहुंचा तो देखा एक अद्भुत पत्थर था और उससे तेज झलक रहा था। वह जब जंगल से बाहर आया तो यह बात लोगों को बताया। इसके बाद दर्जनों की संख्या में लोग पहुंचे और यहां उस पत्थर को निकालने के लिए खोदाई शुरू कराए। कई दिनों तक खोदाई के बाद भी उस पत्थर का अंत नहीं मिला। यही नहीं पत्थर की सच्चाई जानने के लिए हाथियों से उसे ¨खचवाया गया तब भी वह पत्थर टस से मस नहीं हुआ। रात में जब वह व्यक्ति जिसने पत्थर को पहले देखा था सोया तो उसने स्वप्न देखा, जिसमें भगवान शंकर उससे स्वयं उपस्थित होकर कह रहे हैं कि जिस पत्थर को तुम हटवाने का प्रयास कर रहे हो वह मैं स्वयं हूं। यह सुन रात में ही उसकी नींद खुल गई। जग कर देखा तो आसपास कोई नहीं था। सुबह इस बात को सभी लोगों को बताया और पत्थर को वहां से हटाने का विचार त्याग कर सभी उनकी पूजा करने में जुट गए। यहां सबसे पहले छोटा सा आवरण बना कर शिव¨लग को ऊपर से सुरक्षा दी गई। इसके बाद, बाद में यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराने के बाद इसे सोमनाथ मंदिर का नाम दिया गया। वह शिव¨लग आज भी वैसे ही है, जैसे पांच सौ साल पहले घने जंगल में मिला था।
तैयारियां..
महाशिवरात्रि की विशेष तौर से जिला प्रशासन विगत कई दिनों से भीड़ को देखते हुए यहां पर तैयारीयां की जा रही थी, जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर समिति के लोग और सुरक्षाकर्मी यहां मौजूद रहते हैं। जिससे कि भक्तों की कोई परेशानियों का सामना न करना पड़े और नहीं उनकी आस्था पर कोई चोट पहुंच सके।बाबा सोमनाथ की महिमा अपरम्पार है। यहां सच्चे दिल से जो भी भक्तजन मांगते हैं वह भोलेनाथ पूरा करते हैं। मन्नत पूरा होने पर यहां अनुष्ठान, कीर्तन आदि लोग कराते हैं। यह स्थान तकरीबन पांच सौ साल पहले अस्तित्व में आया तभी से आस्था और विश्वास का केंद्र है।
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