June 19, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

भगढा भवानी मंदिर में भक्तो की होती है मुराद पूरी ।

सलेमपुर/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) खराब मौसम भी नही रोक पाया भगढा भवानी मंदिर में भक्तो को आने से आज भगढा भवानी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से लगी रही लोगो का मानना है की भागदा भवानी मंदिर में जोभी मन्नत मांगी जाती है माता उसे पूरा करती है यहां लोग अपने किसी भी शुभ कार्य करने के बाद कढ़ाई चढ़ाते है और माता से अपनी मुरादे पूरी करने की मन्नत मांगते है मझौली राज जो कि बिहार सीमा से सटा हुआ है। इसका इतिहास बहुत प्राचीन है। यह विशेन/बिसेन राजपूतों के लिए प्रसिद्ध है। विशेन/बिसेन राजपूतों का इतिहास सोलह महाजनपदों तक जाता है। मझौली के भवनावसेश इसके गौरवपूर्ण इतिहास के साक्षी हैं। इसके आसपास अनेक पवित्र स्थान हैं जिसमे भगढा भवानी मंदिर विशेष है मझौली राज में ही बाबा दीर्घेश्वर नाथ का प्रसिद्ध मन्दिर है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना अश्वत्थामा ने की थी ।मझौलीराज, मल्लवंश की राजधानी रही है। देश के प्रमुख राजवाड़ों में इसकी एक अलग पहचान रही है। मझौली राज के राज वंश के कुल देवी के रूप में भगढा भवानी की पूजा होती रही मझौलीराज, मल्लवंश की राजधानी रही है। देश के प्रमुख राजवाड़ों में इसकी एक अलग पहचान रही है। इसे तिलक राज के रूप में जाना जाता था। मल्ल वंश के राजधानी मझौली को ही इतिहास में मध्यावली कहा गया। अवध से लेकर पाटलीपुत्र तक फैले साम्राज्य के चलते इसे मध्यावली कहा गया। मझौलीराज मानो प्रकृति के गोद में वसा है। उप नगर उत्तर-पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफ से छोटी गंडक नदी से घिरा है। यह नदावर से लेकर पयासी होते हुए बड़वा टोला तक गंडक का दक्षिणी किनारा उंचा है। पुराने नदावर से लेकर मझौलीराज चौराहे तक के उत्तर तरफ धूसा व करजवानी टोला वसा है

You may have missed