
चकबंदी कराने की फर्जी आख्या की शिकायत पर होनी थी बैठक
किसानों मे काफी आक्रोश
आजमगढ़ (राष्ट्र की परम्परा )
जानकारी के अनुसार जहानागंज के ग्रामसभा टेल्हुआ चकवली में ग्रामिणों के साथ शनिवार को चकबंदी के प्रकरण में खुली बैठक होनी थी। ग्रामीण बैठक में इकट्ठा हुये थे तभी सूचना मिली कि जिले के उच्च अधिकारी कही बिजी हैं। जिससे बैठक को स्थगित कर दिया गया है। ग्रामीणों को निरास होकर घर लौटना पड़ा। सूत्रों के अनुसार टेल्हुआ गांव की चकबंदी होनी थी जिसे भू माफियाओं ने राजस्व से कर्मी मिलकर फर्जी रिपोर्ट लगा दिए थे कि चकबंदी होनी है, खुली बैठक कर प्रस्ताव दिया गया था। जब ग्रामीणों ने विरोध कर जिलाधिकारी को शिकायत किया तो मामला तूल पकड़ लिया और भू माफियायो की पोल खुलने लगी और इतना ही नही राजस्व कर्मी की नौकरी भी आफत में पड़ गयी है। शिकायत बार बार किये जाने पर जिलाधिकारी आजमगढ़ ने मामले को गम्भीरता से लेते हुये, एसडीम सदर एव बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी को संयुक्त जांच के लिए निर्देश हैं। जिसके क्रम में सहायक चकबंदी अधिकारी संजय दुबे ने एजेंडा भेज कर ग्रामिणों को संयुक्त बैठक में भाग लेने के लिए आग्रह किया गया था।, कि संतोष यादव प्रताप आदि द्वारा जिलाधिकारी को दिए गए प्रार्थना पत्र के क्रम में चकबंदी अधिकारी वासुदेव मौर्य एवं तहसीलदार सदर की संयुक्त बैठक में टेल्हुआ चकवली के किसान गढ़ उपस्थित हो। बैठक कैंसिल होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है। इस दौरान चकबंदी कराने की फर्जी आख्या की कड़ी निंदा भी की रही है। भू माफियाओं ने चकबंदी कराने का फर्जी प्रस्ताव भी चकबंदी आयुक्त को उपलब्ध करा दिया था। जो निरस्त होने योग्य है क्योंकि गांव पर इसकी कहीं भी बैठक हुई ही नहीं है।फर्जी रिपोर्ट लगाने वाले कर्मी की नौकरी भी तलवार के नोक पर लगी हुई है। ग्रामिणों को इसकी भनक भी नहीं लगी और फर्जी रिपोर्ट लग गयी कि, ग्रामीण चकबन्दी को तैयार हैं।गलत आख्या पर ग्रामीणों ने आजमगढ़ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर आंदोलन की चेतावनी दी तो मामला तूल पकड़ लिया और संज्ञान में लेते हुए अपर जिलाधिकारी प्रशासन राहुल विश्वकर्मा ने दोनों विभागों की संयुक्त जांच के निर्देश दिए हैं। जिस पर ग्रामीणों ने कहा कि चकबंदी विभाग के भ्रष्ट अधिकारी के वजह से हम ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिले के उच्च अधिकारी हम ग्रामीणों की मांगों को संज्ञान में नहीं लिया तो जल्द ही बृहद आंदोलन भी होगा।
सदर तहसील का यह गांव का जोत चकबंदी अधिनियम के तहत प्रकाशन 1992 को हुआ था और गांव का कागज चकबंदी कराने के लिए चकबंदी विभाग को गया था , गांव के समस्त अभिलेख तहसील से चकबंदी विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया था । लेकिन चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने देखा कि इस गांव में पूर्व की दो बार हुई चकबंदी में बना रास्ता चकरोड नाली पोखरी बंजर आज भी पर्याप्त है। यह सूचना उच्चअधिकारियों को विभाग द्वारा दी गई। जिससे उच्च अधिकारियों ने गांव में बैठक कर संवाद कर देखा कि सत्य ही यहां पर गांव के बीच से चिरैयाकोट वाराणसी मेन रोड जाता है, जिसके दोनों तरफ आबादी बसी हुई है जहां पर्याप्त चक मार्ग चक नाली पोखरी और सार्वजनिक भूमि उपलब्ध है । जिससे सत्य ही यहां चकबंदी की कोई आवश्यकता नहीं है , तथा कृषकों ने भी चकबंदी न कराने की मांग की थी मौके को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने चकबंदी आयुक्त को यह रिपोर्ट भेजी कि यहां चकबंदी कराना संभव नहीं है। तथा यहां चकबंदी की कोई आवश्यकता नहीं है । जिससे लगभग 25 वर्ष बाद चकबंदी ना कराए जाने की रिपोर्ट शासन को भेजी गई। जिस पर शासन से सन 2018 में धारा 6(2 ) की विज्ञप्ति जारी हो गई ,अर्थात गांव चकबंदी प्रक्रिया से बाहर चला गया तथा सभी अभिलेख तहसील में वापस चले गए । उसी के अनुसार तहसील में संतोषजनक कार्य चल रहा है।
इसके चार वर्ष बाद ही गांव के सरकारी भूमि को हड़पने वाले भू माफियाओं ने चकबंदी अधिकारियों से मिलीभगत कर गुपचुप तरीके से बीना ग्रामिणो को सूचना दिए ही फर्जी प्रस्ताव बना दिए, कि यहां चकबंदी की आवश्यकता है चकबंदी कराई जाए ग्रामीणों के आपत्ति पर चकबंदी आयुक्त ने चकबंदी के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी किंतु चकबंदी विभाग द्वारा जानबूझकर रिपोर्ट नहीं भेजी गई और रिपोर्ट भेजने में देरी की गई। इसी बीच धारा चार का प्रकाशन हो गया ,अब चकबंदी विभाग मनगढ़ंत आख्या भेजना चाहते थे , इसी बीच जिलाधिकारी ने संज्ञान में लेते हुए संयुक्त बैठक का आदेश दे दिया जिस पर फर्जी आख्या का खुलासा होना तय माना जा रहा था किंतु अपरिहार्य कारणो से बैठक स्थगित कर दी गई, जिस पर ग्रामीणों ने एक जुटता बनाते हुए लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस ली है । ग्रामीणों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया तो उस मामले में बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी ने जिलाधिकारी को आख्या रिपोर्ट से अवगत कराया कि वर्तमान ग्राम प्रधान द्वारा प्रस्ताव के साथ प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसकी जांच आख्या निदेशालय को भेजी गई थी साथ ही 17 फरवरी 23 मे आश्वासन दिया कि पुनः प्रस्ताव पर सहायक चकबंदी अधिकारी को बैठक कर किसानों की सहमति के अनुसार आख्या उपलब्ध कराए जाने के लिए निर्देशित किया गया है। सहायक चकबंदी अधिकारी जहानागंज ने ग्रामीणों को गोल-गोल घुमाते रहे और कोई बैठक भी नहीं की महीनों बीत जाने के बाद ग्रामीणों का सब्र टूटने लगा और आक्रोश फिर बढ़ता जा रहा था। ग्रामीणो ने धरना प्रदर्शन की बात किये तो अधिकारियों का कान खड़ा हो गया ग्रामीणों ने बताया कि मौजूदा ग्राम प्रधान केदारनाथ यादव अपने निजी स्वार्थ में बीना बैठक कराए ही चकबंदी कराने का फर्जी प्रस्ताव लगवा दिए थे।क्योंकि उनके ऊपर सरकारी संपत्ति फर्जी प्रकार से बैक डेट में फर्जी अमलदरामद कराने का भी आरोप है जल्द ही उसका भी भंडाफोड़ होगा।
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