
साहित्य की लोकमंगल यात्रा प्रारंभ
मगहर/संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। हिंदी साहित्य का व्यवस्थित इतिहास लिखने वाले, अगौना (बस्ती) में जन्मे प्रख्यात रचनाकार, निबंधकार, लेखक और इतिहासकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की जयंती पर लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज, गोंडा के विद्वतजनों द्वारा संत कबीर की परिनिर्वाण मगहर से बुधवार को साहित्य की लोकमंगल यात्रा प्रारम्भ हुई। यात्रा यहां से चल कर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के जन्मभूमि बस्ती के अगौना होते हुए गोस्वामी तुलसीदास के जन्मभूमि गोंडा के सूकरखेत पहुंच कर विराम लेगी। यात्रा के आरम्भ के पूर्व ताना-बाना हाल में ‘कबीर के राम’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ रहे एवं संचालन डा. जयशंकर तिवारी ने किया
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ ने कहा कि कबीर के ‘राम’ की अपेक्षा तुलसी के राम में प्रभु और प्रभुता दोनों है। दोनों का स्वरूप अन्ततः एक है। कबीर निराकार निर्गुण के उपासक थे। जबकि तुलसीदास सगुण और साकार ब्रह्म को मानते थे। इस तरह से देखा जाय तो कबीर और तुलसी दोनों के राम एक हैं।लेकिन उन्हें समझने और जानने का तरीका अलग अलग है। उन्होंने कहा कि कबीर ने निराकार ब्रह्म को अपनाने और उन्हें पूजने की बात कही थी। तो गोस्वामी तुलसीदास ने साकार ब्रह्म को बताने के लिए श्री राम चरित मानस की रचना कर डाली।
अध्यक्षता करते हुए डा. सूर्यपाल सिंह ने कहा कि तुलसी में समन्वय की अद्भुत क्षमता थी। निराकार का प्रत्यय काफी बड़ा हैl जिसमें धरती के सभी सगुण स्वरूप समाहित हैं। कबीर दास कहते हैं नदिया एक घाट बहुतेरे। वही बात तुलसी दास कहते हैं सगुनहिं अगुनहिं नहिं कछु भेदा। निर्गुण को रूप देना कठिन हैl इसीलिए कबीर ने बार-बार अपने दूसरे ‘राम’ का बोध कराया।
कार्यक्रम के मंचासीन प्रो. गंगाप्रसाद पाठक, साहित्य भूषण शिवा कांत मिश्र ‘विद्रोही’, कार्यक्रम समन्वयक डा. जितेंद्र सिंह, साहित्य भूषण सतीश आर्य आदि ने संगोष्ठी में विचार रखे।
इस यात्रा के निदेशक प्रो. शैलेन्द्र शून्यम् ने बताया कि साहित्य के लोकमंगल यात्रा कबीर निर्वाण स्थली से चल कर बस्ती जनपद में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के जन्मभूमि अगौना होते हुए गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान गोंडा जनपद के सूकरखेत तक 150 किमी पूरी करेगी।
संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान और ‘भारत माता की जय’ के उद्घोषों के साथ हुआ।
इस दौरान प्रो. वीपी सिंह, शैलेन्द्र नाथ मिश्रा, अश्वनी तिवारी, प्रो. मंजुल भरत, डा. ओंकार पाठक, डा. सतीश तिवारी, डा. ओपी यादव, डा. संतोष श्रीवास्तव, पुष्यमित्र मिश्रा, नीरज पाण्डेय बहराइच, राम समुझ सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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