
सुधीर राय की रिपोर्ट
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा )एक तरफ जहां प्रदेश के मुखिया द्रारा यह कहा जा रहा है कि विकास के कार्यों में धन की कोई कमी नहीं है खुलकर विकास करें वहीं शहर का एकमात्र पार्क अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है पार्क में कुर्सियां वर्षों से टूटी पड़ी है घास की कटिंग नहीं हो रही है पार्क के चारों तरफ डॉक्टरों की संख्या ज्यादे हैं जिसमें ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली जनता पार्क में बैठकर अपने नंबर का इंतजार करती है अपना समय व्यतीत करती है मोहल्लेवासी भी है जो सुबह शाम पार्क में व्यायाम का लुफ्त उठाते हैं ना तो पार्क में कोई सफाई होती है पार्क का एक मात्र पुरुष यूरिन त्याग केन्द्र है जहां अगर आप भूल से चले गए तो गैस खाकर गिर जाएंगे इस बाबत कई बार ई० ओ० महोदय के संज्ञान में लाया गया किंतु हर बार वही स्थिति डाक के पास बनी रहती है पार्क में एक फौबारा है जो कभी कभार तर त्यौहार को चालू होता है अन्यथा बंद ही रहता है इसके बाबत पूछे जाने पर नगर पालिका के संविदा कर्मचारी ने बताया कि फौबारा खराब है इस कारण नहीं चलता है घास कटिंग मशीन भी खराब है जिसके चलते हैं घास की कटाई नहीं हो पाती है कुर्सियां जो टूटी हो तो दिख ही रहा है उसके लिए हम क्या कर सकते हैं बताते चलें कि पंडित दीनदयाल पार्क के बगल में ही एक छोटा पार्क है जिसे बहुत ही अरमानों के साथ जिम पार्क के नाम से सजाया गया जिसमें जनता सुबह शाम व्यायाम करती है उन मशीनों का भी कोई रखरखाव नहीं है मशीनों का हाल है की रस्सी बांध के रखा गया है कब उसकी मरम्मत होगी कब जनता इसका लाभ लगी या भविष्य के गर्द में है
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