
संत कबीर नगर: जहां बहती है साखी-सबद-रमैनी की त्रिवेणी तो एक ओर होता है हर-हर बम-बम
नवनीत मिश्र (राष्ट्र की परम्परा)।
दुनिया प्रति वर्ष 27 सितंबर को पर्यटन दिवस मनाती है। यह दिवस पर्यटन को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 विश्व पर्यटन दिवस का थीम “पर्यटन और हरित निवेश” है। आइए जानते हैं विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर जनपद संत कबीर नगर में घूमने लायक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक जगहों के बारे में…
संत कबीर नगर जनपद उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में से एक हैं। सन 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इसकी स्थापना की घोषणा करते हुए महान मानवतावादी संत कबीर दास की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया।
ज्ञात हो कि जनपद के मगहर नामक स्थान पर संत कबीरदास ने विक्रम संवत 1575 में माघ शुक्ल एकादशी को अपने शरीर को त्याग दिया। संत कबीरदास हिंदुओं और मुस्लिमों में समान रूप से लोकप्रिय थे। उनकी मृत्यु पर दोनों वर्गों ने अपनी अपनी परम्परा के अनुसार समाधि और मजार निर्मित कर तब से अब तक श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।
संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली पर ही मकर संक्रांति के अवसर पर सप्ताह भर चलने वाला “मगहर महोत्सव” आयोजित होता है। जिसमें कबीर के साखी-सबद-रमैनी की त्रिवेणी बहती है। क्रांतिकारी कवि, समाज सुधारक संत कबीर ने काशी के ऊपर मगहर को चुना। क्योंकि एक प्रबुद्ध आत्मा के रूप में वह उस मिथक को दूर करना चाहते थे कि कोई भी अपने जीवन के अंतिम सांस मगहर मे लेने से उसका अगला जन्म एक गधे के रुप मे होता है।
…का काशी तन तजै कबीरा, रामहि कौन निहोरा।।
इसी के साथ जनपद मुख्यालय के दक्षिण की ओर ऐतिहासिक महाभारत कालीन भगवान शिव का प्राचीन
तामेश्वर नाथ मंदिर स्थित है। जहां पर महाभारत काल मे पांडवों की माता कुंती व पांडवों द्वारा भोलेनाथ की पूजा की जाती थी।
तब से आजतक इस स्थान पर जिले के ही नही बल्कि अन्य जिलों व प्रदेशों से लोग वर्ष भर आते रहते हैं।
जनपद मुख्यालय खलीलाबाद है। जो का प्रशासनिक केंद्र होने के साथ ही एक ऐतिहासिक स्थान भी है। काजी खलील-उर-रहमान का किला अपने छोटे आकार के बावजूद, इस शहर के समृद्ध इतिहास का बयान करता है। इतिहासकारों के अनुसार 1860 में, गोरखपुर के चकलादार काजी खलील-उर-रहमान ने खलीलाबाद को बसाते हुए उसे अपना नाम दिया। स्थानीय राजपूतों के विद्रोह को दबाने के लिए खलील-उर-रहमान को भेजा गया था। उस समय जय सिंह और विजय सिंह नामक दो भाई थे। औरंगजेब के सैनिकों द्वारा विजय सिंह के मारे जाने के बाद, जय सिंह को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ‘पचपोखरी’ निवासी जय सिंह को जसीम खान नाम मिला।
मुख्यालय के किले से से वर्तमान मे कोतवाली खलीलाबाद संचालित होती है। जिसके पिछले हिस्से में किले के अवशेष देखे जा सकते हैं।
जनपद मुख्यालय पर ही स्थित है सर्वमंगला देवी मां समय माता का मंदिर, को जिले ही नहीं पूर्वांचल के लोकप्रिय और प्राचीन मंदिरों में से एक है। समय माता मंदिर में पहले तीन पिंडियां हुआ करती थीं। परंतु स्थानीय समाजसेवियों व व्यापारी वर्ग ने जन सहयोग से मंदिर को भव्य व दिव्य स्वरूप दे दिया है। जहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नवरात्रि के अवसर पर यहां की चहल पहल देखते ही बनती है।
संत कबीर नगर में इनके अतिरिक्त बखिरा पक्षी बिहार, कोपियां बौद्ध कालीन स्थल, लहुरादेवा ऐतिहासिक स्थल, नव निर्मित संत कबीर एकादमी आदि अनेक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है।
अगले अंक में पढ़िए सभी जगहों के बारे में विस्तार से (क्रमश:)
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