
कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)
तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत बरवाराजापाकड़ के सपही बरवा टोला में विगत छह वर्षों से आयोजित होने वाले राधा अष्टमी महोत्सव के निमित्त आयोजित रामकथा के पांचवे दिन, सोमवार की रात कथावाचक आचार्य विनय पाण्डेय ने विश्वामित्र के साथ भगवान राम का जनकपुर के लिए प्रस्थान, अहिल्या उद्धार, पुष्प वाटिका भ्रमण, धनुष भंग व राम सीता विवाह प्रसंग का वर्णन किया।
कथावाचक ने कहा कि सीता से विवाह के इच्छुक बलशाली राजा राजकुमार बल के अहंकार में डूबे थे। वह धनुष उठाते समय शरीर का पूरा बल धनुष पर लगा देते थे जिससे धनुष उठने की बजाय और बैठ जाता था। यह उसी प्रकार होता था जैसे किसी डब्बे के उपर लगा हुआ ढक्कन खोलते समय आप जोर लगाएं तो वह और बैठ जाता है लेकिन आराम से खोलें तो तुरंत खुल जाता है, राम ने इस चीज को गौर से देखा कि सभी धनुष के साथ बल प्रयोग कर रहे हैं इसलिए धनुष उठ नहीं रहा है।इसलिए जब राम धनुष उठाने गए तो जिस प्रकार सीता सहज भाव से बिना बल लगाए धनुष उठा लेती थी उसी प्रकार राम ने भी धनुष को उठाने का प्रयास किया और सफल हुए और सीता राम की हो गई। राम ने यहां संसार को ज्ञान दिया कि बल की बजाय हमेशा बुद्धि से काम लेना चाहिए। कथा में विवाह गीत पर श्रद्धालु जमकर झूमे। प. संजय चौबे व पं. दीपक मिश्र ने वाल्मीकि रामायण का परायण पाठ किया। इसके पूर्व कथा का शुभारंभ सात वर्षीय कथावाचिका अनुष्का पाठक ने व्यास पीठ का पूजन कर किया। उन्होने कहा कि राम राष्ट्र हैं व उनका चरित्र राष्ट्र का आदर्श है। श्रीराम सनातन संस्कृति की सभी आसुरी बाधाओं को दूर करते हैं। इस अवसर पर तुलानारायण राय, दीपक गुप्ता, हरेश पांडेय, हरिप्रसाद गुप्ता, धनंजय ओझा, प्रेम पांडेय, पुरूषोत्तम मिश्र आदि उपस्थित रहे।
संवाददाता कुशीनगर…
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