बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
राम घाट स्थित मां सरयू के पावन तट बरहज में ब्राह्मणों द्वारा श्रावणी उपाकर्म स्नान के साथ शुरू हुआ सरयू तट पर श्रावणी उपाकर्म ततपश्चात जिले के प्रसिद्ध अनंत पीठ आश्रम के पीठाधीश्वर आञ्जनेय दास द्वारा सप्तर्षियों का पूजन, वैदिक मंत्रों के बीच विधि विधान से संपन्न कराया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य आचार्य संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य विश्राम शुक्ला एवं वर्तमान प्रधानाचार्य कृष्ण मुरारी तिवारी, परशुराम पाण्डेय,पंडित विनय कुमार मिश्रा द्वारा वैदिक मन्त्रो का मंत्रोच्चार किया गया, सप्त ऋषि पूजन के बारे में जानकारी देते हुए पूर्व प्रधानाचार्य विश्राम शुक्ला ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रमुख पर्व है श्रावणी उपाकर्म, रक्षाबंधन, दशहरा, दिवाली और होली। ब्राह्मणों के लिए श्रावणी उपाकर्म, क्षत्रियों के लिए दशहरा, वैश्यों के लिए दिवाली और शुद्र के लिए होली यह मुख्य पर्व होते हैं श्रावणी उपाकर्म में अरुंधति सहित सप्तर्षियों का वैदिक मंत्रों के बीच यज्ञोपवीत को अभिमंत्रित किया जाता हैंं या यज्ञोपवीत वर्ष पर्यंत धारण किया जाता है और यही यज्ञोपवीत ऋषियों, पूर्वजों, पितरों और अन्य बंधु बांधव को भी दिया जाता है। श्रावणी पुजा के इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानाचार्य विश्राम शुक्ला, वर्तमान प्रधानाचार्य कृष्ण मुरारी तिवारी, पंडित विनय कुमार मिश्रा,ओमप्रकाश दुबे, हरिशंकर पाण्डेय, रमेश तिवारी अनजान, परशुराम पाण्डेय, अनमोल मिश्रा, अनुपम मिश्रा, मानस मिश्रा, अवधेश सहित आदि लोग उपस्थित रहे ।
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