December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

हिन्द महासागर के उत्तर से हिमालय के दक्षिण तक का क्षेत्र भारत वर्ष है-डॉ.अरविन्द

कस्तुरबा गांधी बालिका इंटर कालेज, रामपुर बुजुर्ग आरएसएस प्रशिक्षण

भाटपार रानी/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
हिंद महासागर के उत्तर में और हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो देश है उसका नाम भारतवर्ष है और उसकी संतति भारती कहलाती है। उक्त बातें कस्तुरबा गांधी बालिका इंटर कालेज, रामपुर बुजुर्ग में चल रहे आरएसएस के प्राथमिक शिक्षा वर्ग प्रशिक्षण के दौरान रविवार को बौद्धिक देते हुए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के जिला संयोजक डॉ.अरविन्द पांडेय ने कही।
उन्होंने कहा कि भारत हमारी मातृभूमि,पितृभूमि एवं पुण्यभूमि है। भारत ने ही हमारा लालन-पालन और पोषण किया है। उसके तीर्थ हमारी आस्था और श्रद्धा के स्थल हैं। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत आदि में स्थापित धर्म भारतीय धर्म है। भारत वह भूमि है जहां मानव ने आध्यात्मिकता, पवित्रता, शांति, उदारता, नम्रता को प्राप्त किया है। भारत वह भूमि है जिसने सदैव से विश्व का नेतृत्व किया है।जहां आज भी विश्व के अन्य लोग जन्म लेने को अपना सौभाग्य मानते हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन अखंड भारत में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तिब्बत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान एवं म्यांमार अर्थात ब्रह्मदेश का भूभाग शामिल है।वेदों में भारत को विश्व का प्रथम राष्ट्र कहा गया है। राष्ट्र अर्थात जो जनसंख्या सांस्कृतिक एकता के सूत्र में एक साथ बंधी हो वही राष्ट्र है। अर्थात प्राचीन समय में हिमालय से हिंद महासागर तक के मध्य एक सांस्कृतिक सूत्र में बंधी जनता ‘भारत’ नाम से संबोधित की जाती थी। भारत ही वेद, पुराण, रामायण, महाभारत की जननी है। अनादिकाल से धर्म – अधर्म, कार्य-अकार्य कर्मों के निर्णायक वेदादि शास्त्र ही रहे हैं। भारत कर्मभूमि है अतः यहां वर्णाधर्म, आश्रमधर्म, यज्ञ, योग आदि विशिष्ट धर्मों का पूर्ण विकास हुआ है। यहां कर्म और उपासना व ज्ञान की सिद्धि सरलता से होती है। जंबुद्वीप समस्त पृथ्वी के मध्य में है। उसी में मेरु पर्वत है। अतः भारत में ही धरती का हृदय है। यह ऐसी भूमि है जहां देवता भी जन्म लेना चाहते हैं। भारत के ज्ञान और धर्म के प्रभाव से विश्व आलोकित हुआ है। भारत का इतिहास उतना ही प्राचीन कहा जा सकता है जितना प्राचीन मानव सभ्यता का इतिहास है। उक्त अवसर पर जिला प्रचारक अखिलेश्वर, वर्ग कार्यवाह करुणेश, आनंद प्रकाश, वाचस्पति, रोहित, प्रदीप, मुकेश, आदि मौजूद रहे।