आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
योग, भारतीय प्राचीन परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है,जोकि शारीरिक क्षमताओं और आत्मविश्वास को मजबूत बनाता है। इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए यूपी के वरिष्ठ समाजसेवी डॉ उमेश शर्मा ने देश के सभी नागरिकों से योग क्रिया को अपनी दिनचर्या में शामिल करने का आह्वान किया।
उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति लखनऊ के चेयरमेन डॉ उमेश शर्मा ने योग दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, संवाददाता वार्ता में कहा कि योग शब्द संस्कृत की ‘युज’ धातु से बना है जिसका अर्थ है जोड़ना यानी शरीर, मन और आत्मा को एक सूत्र में जोड़ना। “योगश्च चित्तवृत्ति निरोध” यानी मन की वृत्तियों पर नियंत्रण करना ही योग है। भागवत गीता में कहा गया है कि “योग: कर्मसु कौशलम” यानी कर्मों में कौशल या दक्षता ही योग है। योगा एक ऐसी वैज्ञानिक प्रमाणिक व्यायाम पद्धति है। जिसके लिए न तो ज्यादा साधनों की जरुरत होती हैं, और न ही अधिक खर्च करना पड़ता है। इसलिए पिछले कुछ सालों से योगा की लोकप्रियता और इसके नियमित अभ्यास करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। योगा आत्मा, मन और शरीर को एक सूत्र में जोड़ता हैं। योग भारतीय प्राचीन परंपराओं में से एक है, जिसे भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जून 2015 को वैस्विक स्तर पर मान्यता दिलाई और 193 देशों ने इसे स्वीकार किया। जिसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल हैं। योगा अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं। भारतीय पौराणिक युग से योग की जड़े जुडी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह भगवान शिव थे, जिन्होंने इस कला को जन्म दिया। शिव, जिन्हें आदि योगी के रूप में भी माना जाता है, इसको दुनिया के सभी योग गुरुओं के लिए प्रेरणा माना जाता है। योग, मन, शरीर और आत्मा की एकता को सक्षम बनाता है। योग के विभिन्न रूपों से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अलग-अलग तरीकों से लाभ मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को इस अनूठी कला का आनंद लेने के लिए मनाया जाता है। 9वें विश्व योग दिवस पर हमारी सभी से अपील हैं कि योग क्रिया को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।
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