
आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
मातृभूमि एवं धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले, त्याग, स्वाभिमान, अप्रतिम शौर्य व पराक्रम के प्रतीक, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 483वी जयंती उन्हें नमन कर मनाई गयी।
फ़िल्म निर्माता एवं समाजसेवी सावन चौहान ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती पर नमन करते हुये बताया कि मातृभूमि की रक्षा के लिए आन, बान व शान कायम रखते हुए महाराणा प्रताप ने मुगलों की दासता स्वीकार करने की बजाए वनों में रहना ज्यादा श्रेयस्कर समझा तथा वतन की रक्षा के लिए जीवन के अंतिम सांस तक संघर्षरत रहे। आज़ महाराणा प्रताप के उज्जवल इतिहास को सामने लाने की आवश्यकता हैं। मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप न सिर्फ़ एक शूरवीर योद्धा थे बल्कि एक महान राजा के तौर पर उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हैं। इतिहास के पंन्नों पर सदा सदा के लिए अमर होने वाले महाराणा के विचार भी उतने ही महान हैं। जिससे महाराणा प्रताप के जीवन की प्रेरणादायक बातों से जागरूक हो सकते हैं।आज़ भी सर्व समाज के करोड़ों लोग प्रेरणा ले सकते हैं। कालांतर में वामपंथीयों एवं इतिहासकारों के द्वारा हमारे गौरव मई इतिहास क़ो अधूरे पन में दिखाया गया हैं। वास्तव में हल्दीघाटी में महाराणा की विजय हुई थी और इस युद्ध के कुछ वर्षों बाद हुआ दिवेर के युद्ध में मेवाड के कुछ हिस्सों क़ो छोड़कर संपूर्ण मेवाड पर महाराणा का अधिपत्य हो गया था।
श्री चौहान ने बताया कि महाराणा क़ो उनकी माँ जयवंती बाई ने देश के वीर सपूतों के वारे में पढ़ाया करती थी और उन्होंने ही प्रताप क़ो एक शूरवीर पुरोधा बनाया। इसलिए हम सब क़ो भी अपने युवाओं और सर्व समाज क़ो उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। क्युकी राष्ट्र की अवधारणा, राष्ट्र की सुरक्षा और सेवा ही सवसे बड़ा धर्म हैं। इस पर हमें सोच विचार करना चाहिए और अपने जीवन में राष्ट्र का चिंतन करना चाहिए। जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत युवाओं का देश है। हमारी युवा पीढ़ी को महाराणा प्रताप के आदर्श जीवन मूल्यों और नैतिक कर्तव्यों को आत्मसात करना होगा। महाराणा प्रताप हमारे राष्ट्र के सच्चे सपूत, राष्ट्रभक्त तथा महान योद्धा थे। महाराणा प्रताप वतन की रक्षा के लिए जीवन के अंतिम सांस तक संघर्षरत रहे। महाराणा प्रताप हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के रक्षक और स्वतंत्रता प्रेमी के रूप में विश्वविख्यात है।
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