
- सप्तदिवसीय स्वान्त: सुखाय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का प्रथम दिन
- अपनी आत्मा को स्वयं देव बनाये वही आत्मदेव
- नारद भक्ति संवाद, गोकर्ण उपाख्यान व श्रीमद् भागवत कथा महात्म्य का किया वर्णन
राजापाकड़ कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)04 सितम्बर..
पशु अपने शरीर से अपना कल्याण नहीं कर सकते, किन्तु मनुष्य बुद्धिमान प्राणी होने के कारण अपने शरीर से अपना तथा दूसरो का कल्याण कर सकता है। अपनी आत्मा को स्वयं देव बनाये वही आत्मदेव है। आत्मदेव ही जीवात्मा है। हम सब आत्मदेव है । नर ही नारायण बनता है। यह बातें तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत बरवा राजापाकड़ के टोला सपही बरवा में राधाष्टमी के अवसर पर हनुमान भजन मंडल के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय स्वान्त: सुखाय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन शनिवार की रात्रि कथावाचक आचार्य पं. विनय पांडेय ने कही।

कथावाचक ने नारद भक्ति संवाद, गोकर्ण उपाख्यान व श्रीमद् भागवत कथा महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि यदि नियम पूर्वक कथा का श्रवण किया जाय तो आत्मा जीते जी ही नहीं बल्कि मरने के बाद भी मुक्त हो जाती है चाहे उसने आजीवन पापाचरण ही क्यों न किया हो। यज्ञाचार्य पं संजय चतुर्वेदी, पं. दीपक मिश्र, पं. नंद पाठक, पं. अमरनाथ मिश्र ने परायण पाठ किया। कलाकार रमेश श्रीवास्तव, कमलेश व संजय व्यास ने संगीत पर संगत की। कथा का शुभारंभ ब्रजेश गुप्ता, हरिप्रसाद गुप्ता, फेकू गुप्ता ने व्यासपीठ का पूजन कर किया। इस दौरान यजमान प्रहलाद गुप्ता ने पं अच्युतानंद शास्त्री, विद्या गुप्ता, ध्रुव देव गुप्ता, सिंहासन गुप्ता, रविन्द्र शर्मा, रिंकी, उमा, श्वेता, अमृता, रम्भा, ज्योति, निशा, विनिता, मुन्ना आदि श्रोता उपस्थित रहे।
संवादाता कुशीनगर…
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