
सलेमपुर/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) सलेमपुर तहसील क्षेत्र के बौद्ध शिक्षण संस्थान लघु माध्यमिक विद्यालय मनिहारी के प्रधानाध्यापक अतुल कुमार उपाध्याय ने बताया कि
छोटे बच्चे के मन पर अध्यापक का जैसा गहरा प्रभाव पड़ता है, वैसा किसी अन्य का नहीं पड़ता । इसलिए अध्यापक का आदर्शवान होना परम आवश्यक है। अध्यापक ही ऐसा एक केद्ध-बिन्दु है जहाँ से बौद्धिक परम्पराएँ तथा वैज्ञानिक और तकनीकी कुशलता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संचारित करती हैं । यह अध्यापक या शिक्षक ही होता है जो सभ्यता के दीपक को प्रज्ज्वलित करने में अपना योगदान करता है। शिक्षक, अध्यापक या गुरु व्यक्ति का मार्ग दर्शन ही नहीं करता, अपितु समूचे राष्ट्र का भाग्य निर्माता भी होता है। शिक्षक अपने बच्चों पर प्रभाव डालने का प्रयास करता है जिससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो सके
शिक्षक यदि योग्य होगा तो छात्र भी योग्य ही बनेंगे। शिक्षक के व्यक्तित्व का प्रभाव छात्र पर निश्चित रूप से पड़ता है। चरित्रवान और नीतिवान अध्यापक के विद्यार्थी भी चरित्र और नीति में प्रवीण होंगे। शिक्षण, निरीक्षण, मार्गदर्शन, मूल्यांकन और सुधारात्मक कार्यों के साथ-साथ योग्य अध्यापक ही विद्यार्थियों, अभिभावकों और समुदाय से सदैव अनुकूल सम्बन्ध स्थापित करने के दायित्व को भी निभाता है। अध्यापक द्वारा शिक्षित छात्र जब परीक्षा में सफल होते हैं तो सबसे अधिक गर्व अध्यापक को ही होता है। अध्यापक राष्ट्र का निर्माण करने का सहयोगी है गुरु शिष्य की परंपरा हमेशा बनी रहे इसलिए शिक्षक अपने छात्र को अच्छी शिक्षा देकर उसे समाज में विकसित करता है
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