
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। अनुसूचित जाति की बालिका का अपहरण कर दुष्कर्म करने के आरोपी को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट दिनेश प्रताप सिंह की कोर्ट ने सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई । जबकि आरोपी देवीदीन राजभर के बहनोई फूलचन्द्र को कोर्ट ने तीन वर्ष के सजा सुनायी। अदालत ने दोनों आरोपियों पर कुल 7 हजार पांच सौ रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया है। अर्थदण्ड का भुगतान न करने पर आरोपी को 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। साथ ही कोर्ट ने अर्थदण्ड की धनराशि में से 4 हजार रुपए पीड़िता को प्रतिकर के रुप में भुगतान करने तथा शेष तीन हजार पांच सौ रुपए राज्य सरकार के पक्ष में जमा करने को कहा है ।
प्राप्त विवरण के अनुसार धनघटा थानाक्षेत्र के ग्राम मकदूमपुर उर्फ मछली गांव का है। विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि प्रकरण में पीड़िता के चाचा कन्हैया लाल पुत्र बनारसी ने अभियोग पंजीकृत कराया था । वादी का आरोप है कि वह अनुसूचित जाति का चमार है । दिनांक 22 मई 2007 को दिन में एक बजे उसकी भतीजी देवी दीन राजभर पुत्र सुमेसर राजभर के राशन की दुकान पर सामान लेने गई थी। देवीदीन बदनीयत किस्म का व्यक्ति है। मौका देखकर भतीजी का अपहरण कर लिया और रात में उसे लेकर कहीं अन्यत्र चला गया। वादी ने पुलिस को सूचना दिया तो कहा गया कि पता करते रहो। वादी को पता चला कि देवीदीन उसकी भतीजी को अपनी बड़ी बहन इन्द्रावती पत्नी फूलचन्द्र ग्राम किड़हिरिया थाना कोतवाली खलीलाबाद के यहां छिपा कर रखा है । पुलिस को सूचना दिया। परन्तु कोई कार्रवाई नहीं किया। दिनांक 4 जून को गांव के चुनिन्दा सम्भ्रान्त व्यक्तियों को लेकर किड़हिरिया गया। किसी तरह भतीजी को सौंप दिया।
मुकदमा दर्ज कराने के लिए पुलिस अधीक्षक एवं डीआईजी बस्ती को प्रार्थना पत्र देता रहा। अंततः दिनांक 23 अक्टूबर 2007 को डीआईजी के आदेश पर अभियोग पंजीकृत हुआ। पुलिस ने विवेचना के दौरान इन्द्रावती का नाम निकाल करके उसके पति फूलचन्द्र और देवीदीन के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया।
विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि अभियोजन ने कुल 8 गवाह न्यायालय में प्रस्तुत कियाl एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट दिनेश प्रताप सिंह की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के पश्चात दोनों आरोपियों को एससीएसटी एक्ट एवं कुछ अन्य धाराओं में संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। जबकि आरोपी देवीदीन को अपहरण एवं दुष्कर्म करने के आरोप में सात वर्ष का कारावास तथा बहनोई को अपहरण में सहयोग करने के आरोप में दोषसिद्ध करार देते हुए तीन वर्ष की सजा सुनायी।
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