
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
नागरी प्रचारिणी सभा के तत्वावधान से बुधवार को भारतीय नववर्ष कार्यक्रम आयोजित हुआ । नववर्ष समारोह की शुरुआत अध्यक्ष मुख्य वक्ता डां दिवाकर प्रसाद तिवारी मंत्री डाॅ अनिल कुमार त्रिपाठी द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि के साथ हुआ। तत्पश्चात मुख्य वक्ता डां दिवाकर प्रसाद तिवारी ने भारतीय नववर्ष के इतिहास और विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वास्तव में जो आज विक्रम संवत कहा जाता है उसका पहले मालव या कृत संवत नाम था, जिसे मालव राजाओं ने चलाया था।ईसा की नवीं शताब्दी में जन मन के भीतर भारतीय अस्मिता की रक्षा के निमित्त एक आन्दोलन का भाव भरने के लिए राजनैतिक प्रतिरक्षा के तौर पर चन्द्र गुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के नाम पर शासकों ने विक्रम संवत नाम दिया। इसके बाद सभा के पूर्व मंत्री इन्द्र कुमार दीक्षित ने कहा कि भारतीय संस्कृति विदेशी परंपरा हो या भारतीय सबका सम्मान करती है,और यही इसकी विशेषता है।मेरी दृष्टि से भारतीय नववर्ष प्रकृति के सबसे करीब है।सभा के मंत्री डाॅ अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि हमारी संस्कृति निश्चित ही महान है।इसे हमारे पूर्वजों ने काफी परिश्रम से पुष्कर किया है। जिसका आदर हमें करना चाहिए। सभा के अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारे यहां जिस नक्षत्र में मास की पूर्णिमा होती है उस मास का नामकरण उसी नक्षत्र पर होता है।हम चाहते हैं कि हमारे पड़ोसी, मित्र, संबंधी शुक्ल पक्ष के चन्द्रमा की तरह निरंतर उन्नति करें। इसीलिए हम शूक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत करते हैं।
अनिल कुमार त्रिपाठी, उद्भभव मिश्र, जितेंद्र तिवारी, संदीप द्विवेदी ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में उपस्थित सौदागर सिंह,लालता प्रसाद चौधरी, पार्वती देवी, कौशल मणि आदि कवियों ने अपनी रचना सुनाई। इस अवसर पर डां सौरभ श्रीवास्तव, संतोष कुमार विश्वकर्मा, श्वेतांक करण त्रिपाठी रमेश चंद्र त्रिपाठी, बृजेन्द्र मिश्र आदि गणमान्य उपस्थित रहे।
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