
भलुअनी/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)l भलुअनी में चल रहे भागवत कथा महायज्ञ के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का छठिहार धूमधाम से मंगल गीत व मंत्रोच्चार के बीच, छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर किया गया।
इसके बाद श्रद्धालुओं को कथा का अमृत पान कराते हुए अयोध्या धाम के स्वामी डॉ राघवाचार्य ने कहा कि जब कंस को पता चला कि उसको मारने वाला गोकुल में नंद बाबा के घर है तो अपने सबसे विश्वास पात्र राक्षसी पूतना जो नवजात शिशुओं को अपने स्तन पर लगे विष से दुग्ध पान कराकर मार ड़ालती थी। उसके अत्याचार से पूरे गोकुल वासी परेशान थे। उसको उनके वध करने के लिए भेजा। पूतना सुंदर स्त्री का रूप बनाकर भगवान श्रीकृष्ण के पास गई। पालने में खेल रहे भगवान उसकी मंशा को समझ लिए और तब तक स्तनपान करते रहे जब तक की पूतना की मृत्यु नही हो गई। पूतना का वध कर गोकुल वासियों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई। पूतना पूर्व जन्म में राजा बाली की पुत्री रत्नमाला थी, जब भगवान, राजा बाली के पास गए थे तो रत्नमाला का ममत्व जागृत हो गया था। उसकी इस कामना को इस जन्म में उसका स्तनपान कर पूरा किया। भगवान सदैव अपने भक्तों के मान सम्मान के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर देते हैं। कलिकाल में तो लोग स्तन में विष लगाने के वजाय दूध में ही जहर मिलाकर हत्या कर दे रहे हैं।मोहमाया से निवृत होने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम भगवत भक्ति ही है। कथा के दौरान यजमान नरसिंह तिवारी, मालती त्रिपाठी, संभावना मिश्रा, सुधाकर मिश्र, डॉ धर्मेन्द्र पाण्डेय, रामबाबू प्रधान, पुरुषोत्तम चौबे, अशोक मिश्र, बलराम तिवारी, अशोक पाण्डेय, शमशाद मलिक, इसरार खान, हैप्पी शुक्ल, प्रेमशंकर मिश्र, संजय तिवारी, रवि पाण्डेय, मोहन द्विवेदी, डॉ वाचस्पति शुक्ल, रवि पाण्डेय, डॉ चतुरानन ओझा, प्रेमशंकर मिश्र सुधा तिवारी, गंगाधर तिवारी, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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