Thursday, October 16, 2025
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भक्ति और शक्ति का अद्भुत समन्वय था, गुरु गोविंद सिंह में

गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)
सहित्य परिषद, के संयोजक संजय कुमार सिंह ने महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज गोरखपुर की, प्रार्थना सभा में जयंती की पूर्व सन्ध्या पर दसवें सिख गुरु,
गुरु गोविंद सिंह के जीवन एवं संघर्षों पर प्रकाश डाला।
प्रार्थना सभा को सम्बोधित करते हुए संजय कुमार सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह एक धर्म गुरु ही नही बल्कि एक महान योद्धा भी थे। तत्कालीन परिस्थितियों में जहाँ मुगलों द्वारा व्यापक स्तर पर जबरन धर्मान्तरण किया जा रहा था, वहाँ गुरु गोविंद सिंह अपने सम्पूर्ण समुदाय के धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु तेगबहादुर सिंह के बलिदान के पश्चात सिख समाज द्वारा 1676 में गोविंद सिंह को गुरु की उपाधि दी गयी, और समस्त समुदाय के धर्म के रक्षा का दायित्व सौंपा गया। तब से लेकर अपने जीवन के अंतिम दिनों तक उन्होंने लगभग 14 युद्ध लड़े और अपने धर्म की रक्षा में कामयाब रहे।
गुरु गोविंद सिंह ने अपनी मातृभूमि और धर्म के लिए न केवल अपना बल्कि अपने परिवार का भी बलिदान कर दिया।
गुरु गोविंद सिंह एक योद्धा के साथ साथ उच्चकोटि के विचारक ,चिंतक और आध्यात्मिक नेता भी थे। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिसका सम्पूर्ण संकलन ‘दशम ग्रंथ, नामक ग्रंथ में है। उन्होंने सिखों के सबसे पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब को पूर्ण किया और यह घोषणा की कि, अब यही ग्रंथ ही सभी सिखों के गुरु के रूप में प्रतिष्ठित होगा।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ अरुण कुमार सिंह ने प्रार्थना सभा में सभी छात्रों को गुरु गोविंद सिंह जयंती की पूर्व संध्या पर जयंती के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर समस्त शिक्षकगण और छात्र उपस्थित रहे।

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