Wednesday, December 24, 2025
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भारतीयों के लिए टूटा अमेरिका का H-1B सपना, लॉटरी सिस्टम खत्म; आज से बदले वीजा नियम

अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा झटका है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H-1B वर्क वीजा के रैंडम लॉटरी सिस्टम को खत्म करने का ऐलान कर दिया है। इसकी जगह अब ‘वेटेड सिलेक्शन सिस्टम’ लागू किया जाएगा, जिसमें ज्यादा स्किल्ड और ज्यादा सैलरी पाने वाले विदेशी वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी।
यह बदलाव अमेरिकी वर्कर्स की सैलरी, नौकरियों और कार्य स्थितियों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है।

नए नियम का नोटिफिकेशन जारी

US डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) और US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) ने मंगलवार को नए नियम का नोटिफिकेशन जारी किया।USCIS के प्रवक्ता मैथ्यू ट्रेजेसर के अनुसार, पुरानी रैंडम लॉटरी व्यवस्था का दुरुपयोग कर कई कंपनियां कम सैलरी पर विदेशी वर्कर्स को नियुक्त कर रही थीं, जिससे अमेरिकी कर्मचारियों के अवसर प्रभावित हो रहे थे।

H-1B वीजा के नए नियमों में क्या बदला?

• अब रैंडम लॉटरी नहीं, बल्कि वेटेड सिलेक्शन सिस्टम लागू होगा

• चयन सैलरी लेवल के आधार पर किया जाएगा

• डिपार्टमेंट ऑफ लेबर (DOL) के 4 वेज लेवल तय होंगे
1. सबसे कम वेज लेवल: 1 एंट्री
2. सबसे ऊंचा वेज लेवल: 4 एंट्रीज

• हाई-पेड और हाई-स्किल्ड वर्कर्स को मिलेगा ज्यादा फायदा

• एनुअल H-1B कैप में कोई बदलाव नहीं
1. 65,000 जनरल कैटेगरी
2. 20,000 एडवांस्ड डिग्री होल्डर्स

• नया नियम 27 फरवरी 2026 से लागू होगा

• FY 2027 H-1B कैप रजिस्ट्रेशन से सिस्टम प्रभावी होगा

ट्रंप सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि पुरानी व्यवस्था में कंपनियां एंट्री-लेवल जॉब दिखाकर कम वेतन पर विदेशी वर्कर्स ला रही थीं, जबकि उनके पास ज्यादा अनुभव होता था। इससे अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों और सैलरी पर नकारात्मक असर पड़ रहा था। नया नियम ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत हाई-स्किल्ड टैलेंट को बढ़ावा देगा।

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भारतीय वर्कर्स पर क्या होगा असर?

भारतीय प्रोफेशनल्स H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी रहे हैं। नए नियमों से:

• एंट्री-लेवल और कम सैलरी वाले युवा भारतीयों के लिए वीजा पाना मुश्किल होगा

• सीनियर, एक्सपीरियंस्ड और हाई-पेड प्रोफेशनल्स को फायदा मिलेगा

• इस साल Amazon सबसे बड़ी H-1B वीजा स्पॉन्सर रही (10,000+), इसके बाद TCS, Microsoft, Apple और Google का नंबर रहा

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