रांची (राष्ट्र की परम्परा)। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में मुआवज़ा अब आपदा या पीड़ा के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक फायदे को देखकर तय किया जा रहा है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि झारखंड में कड़ाके की ठंड के बीच बेघर हुए परिवारों की ओर सरकार की कोई संवेदना नहीं है। रिम्स की भूमि पर अतिक्रमण हटाए जाने के दौरान जिन लोगों के घर तोड़े गए, उनकी पीड़ा सबको दिखाई दी, लेकिन राज्य सरकार ने न तो उन्हें मुआवज़ा दिया और न ही सांत्वना के लिए कोई प्रतिनिधि भेजा।
उन्होंने कहा कि झारखंड में सरकार का कामकाज पूरी तरह हाईकोर्ट के भरोसे चलता दिखाई दे रहा है। छोटे से लेकर बड़े हर मामले में जनता को न्याय के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ता है। यहां तक कि हाईकोर्ट के आदेशों को भी सरकार टालने का प्रयास करती है, चाहे मामला पेसा कानून का हो या फिर रिम्स अतिक्रमण का।
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मरांडी ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार की संवेदनहीनता के कारण प्रभावित लोगों को राहत पाने के लिए एक बार फिर कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, ताकि सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार और मिलीभगत की सज़ा उन गरीब परिवारों को न भुगतनी पड़े, जिनके आशियाने उजड़ गए।
उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस मामले में तत्कालीन अंचल अधिकारी, नक्शा स्वीकृत करने वाले अफसर, रांची नगर निगम के बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सेक्शन के अधिकारी, निगरानी में विफल रहे कर्मचारी, साथ ही संलिप्त बिल्डर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि मुआवज़े की राशि संबंधित बिल्डरों और दोषी अधिकारियों से ही वसूली जाए।
अंत में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार से सहयोग की अपेक्षा भले न हो, लेकिन कम से कम जांच और कार्रवाई में कोई बाधा न डाली जाए, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।
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