Sunday, December 21, 2025
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दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में दो आरोपी बरी, कड़कड़डूमा कोर्ट की टिप्पणी—एकमात्र गवाही पर सजा उचित नहीं

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा)। उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीन सिंह ने मोहम्मद फारूक और मोहम्मद शादाब को आगजनी, चोरी, तोड़फोड़ और दंगे से जुड़े सभी आरोपों से संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।

यह मामला 25 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्व दिल्ली के चांग बांग क्षेत्र में हुई कथित तोड़फोड़ और आगजनी की घटना से संबंधित है। दयालपुर थाना पुलिस ने इस संबंध में 1 मार्च 2020 को एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में आरोपियों पर दंगा करने, गैरकानूनी जमावड़ा लगाने, सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा चोरी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।

कोर्ट ने गवाही पर जताया संदेह

अदालत ने अपने फैसले में अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) सुनील की गवाही को अविश्वसनीय माना। कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल एकमात्र गवाह की गवाही के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराना न्यायसंगत नहीं होगा, खासकर जब अन्य साक्ष्य अभियोजन के दावे की पुष्टि नहीं करते।

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संदेह का लाभ देकर आरोपियों को राहत

कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा है। ऐसे में आपराधिक न्याय के सिद्धांत के तहत आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जाना जरूरी है। इसी आधार पर दोनों आरोपियों को सभी धाराओं से बरी करने का आदेश दिया गया।

यह फैसला दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में साक्ष्यों की मजबूती और निष्पक्ष जांच की अहमियत को एक बार फिर रेखांकित करता है।

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