पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार मुद्दा राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भीतर का पारिवारिक विवाद और उसके राजनीतिक निहितार्थ हैं। बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शनिवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को निशाने पर लेते हुए तीखे बयान दिए। जायसवाल ने कहा कि लालू यादव और राबड़ी देवी को अपनी बेटी रोहिणी आचार्य द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इसे सार्वजनिक मंच की बजाय परिवार के भीतर सुलझाना चाहिए।
पत्रकारों से बातचीत में दिलीप जायसवाल ने कहा कि यदि किसी बेटी को अपने ही मायके को सुरक्षित स्थान मानने की गारंटी मांगनी पड़ रही है, तो यह सोचने का विषय है। उन्होंने इसे पूरी तरह पारिवारिक मामला बताते हुए कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को आत्ममंथन करना चाहिए।
तेजस्वी यादव के रोजगार वादों पर सवाल
दिलीप जायसवाल ने इस दौरान तेजस्वी यादव के रोजगार संबंधी दावों को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि आरजेडी का “हर घर एक नौकरी” का वादा न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि जनता को भ्रमित करने वाला भी है। जायसवाल के अनुसार, आजादी के लगभग 78 वर्षों में बिहार में कुल मिलाकर 20 से 22 लाख सरकारी नौकरियां ही उपलब्ध कराई जा सकी हैं, जबकि तेजस्वी यादव 3 करोड़ 80 लाख परिवारों को नौकरी देने की बात कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि आरजेडी के पास न तो ठोस योजना है और न ही यथार्थवादी सोच।
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रोहिणी आचार्य के बयान और महिला सशक्तिकरण का मुद्दा
यह पूरा विवाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के हालिया बयान के बाद सामने आया है। रोहिणी आचार्य ने महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि किसी भी बेटी को यह भरोसा मिलना चाहिए कि उसका मायका हर परिस्थिति में सुरक्षित है। गौरतलब है कि रोहिणी आचार्य ने एक महीने पहले राजनीति से दूरी बनाने और परिवार से अलग होने की बात कही थी।
उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केवल योजनाएं काफी नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुछ पहलों—जैसे महिलाओं को आर्थिक सहायता और छात्राओं को साइकिल वितरण—की अप्रत्यक्ष रूप से सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत में लैंगिक असमानता को खत्म करने के लिए इससे कहीं अधिक व्यापक और प्रणालीगत सुधारों की जरूरत है
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बिहार की राजनीति में नया मोड़
दिलीप जायसवाल के इस बयान ने न केवल आरजेडी के अंदरूनी मामलों को सार्वजनिक बहस का विषय बना दिया है, बल्कि आगामी चुनावों से पहले रोजगार और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को भी केंद्र में ला दिया है। अब देखना होगा कि आरजेडी नेतृत्व इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और यह विवाद बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।
