Sunday, December 21, 2025
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पश्चिमी विक्षोभ से यूपी में शीतलहर का अलर्ट, तापमान में गिरावट और कोहरे का असर बढ़ेगा

लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। उत्तर भारत में मौसम एक बार फिर करवट ले चुका है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में सर्दी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यूपी में रात का तापमान लगातार लुढ़क रहा है। कानपुर में शुक्रवार को रात का पारा गिरकर 4.2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जो सामान्य से 6 डिग्री कम है। वहीं इटावा और मुजफ्फरनगर में न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री दर्ज किया गया।

मौसम विभाग के अनुसार शनिवार से हवाओं का रुख बदलने की उम्मीद है। अरब सागर से आने वाली नमी वाली हवाओं के असर से प्रदेश में फिर से पारे में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा।

3-4 डिग्री बढ़ सकता है रात का तापमान

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवा की दिशा बदल रही है। इससे आने वाले 3-4 दिनों में रात के तापमान में 3-4 डिग्री तक बढ़ोतरी हो सकती है।
कोहरा हल्के से मध्यम स्तर का रहेगा, हालांकि अभी घने कोहरे का कोई अलर्ट नहीं है।

पहाड़ों में भी बढ़ी सर्दी, मैदानी क्षेत्रों में शीतलहर जारी

उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में ठंड का असर तेज हो गया है।

• दिल्ली-NCR, पंजाब, हरियाणा और यूपी में शीतलहर का प्रभाव बढ़ रहा है।

• उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कई इलाकों का तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

मौसम विभाग का कहना है कि दिसंबर की शुरुआत के साथ ही मौसम में तेज बदलाव दर्ज किया जा रहा है। पहाड़ों में बर्फबारी की संभावना बढ़ गई है, जबकि मैदानी इलाकों में कड़ाके की ठंड और कोहरा बढ़ सकता है।

दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय, मौसम में और बदलाव की आशंका

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उत्तर भारत में मौसम के बदलते रुख के पीछे लगातार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ जिम्मेदार हैं।

• एक महत्वपूर्ण पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पंजाब के आसपास 3.1 से 4.5 किमी की ऊंचाई पर सक्रिय है।

• इससे बना चक्रवाती प्रसार उत्तर-पश्चिम यूपी को प्रभावित कर रहा है।

• एक अन्य विक्षोभ ऊपरी वायुमंडल में सक्रिय है, जो आने वाले दिनों में बारिश और बर्फबारी बढ़ा सकता है।

उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में शीतलहर और कोहरा लोगों की परेशानी बढ़ा सकते हैं।

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