इलाज में लापरवाही से मरीज की हालत बिगड़ी
भागलपुर /देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भागलपुर में चिकित्सकों की लगातार अनुपस्थिति ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है। अस्पताल मात्र एक डॉक्टर के सहारे संचालित हो रहा है, जिसके कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को अस्पताल में हुए एक गंभीर मामले ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार भागलपुर के रहने वाले राम सुंदर प्रसाद की तबीयत अचानक खराब होने पर परिजन उन्हें पीएचसी भागलपुर लेकर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की अनुपस्थिति में अस्पताल में मानदेय पर तैनात स्वीपर उमेश ने मरीज का बीपी नापा और इंजेक्शन तक लगा दिया। कुछ देर बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगी।
लगभग आधे घंटे बाद ओपीडी के डॉक्टर अविनाश कुशवाहा अस्पताल पहुंचे और मरीज की जांच कर आवश्यक निर्देश दिए। बाद में मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें देवरहवा बाबा मेडिकल कॉलेज देवरिया रेफर कर दिया गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पीएचसी में डॉक्टरों की कमी के कारण यहां आसपास के सहरसो, मुरसो, बलिया, क्षेत्रपुर, देवसीया , बगहा, बगही, मोबाइली, इत्यादि दूर-दूर के गांवों से आने वाले मरीज को घंटों ओपीडी में बैठना पड़ता हैं। सुविधाओं के अभाव में अक्सर मरीजों को केवल रेफर कर दिया जाता है। खून जांच, एक्स-रे जैसी मूलभूत सेवाएं न होने से निजी जांच केंद्रों की चांदी कट रही है और इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में कम से कम तीन डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि वर्तमान में केवल एक ही डॉक्टर मरीजों को देख पा रहे हैं। वहीं स्वीपर उमेश लंबे समय से कार्यरत है, और डॉक्टरों के सानिध्य में काम करते-करते काफी कुछ सीख गया है, जिसके चलते वह जरूरत पड़ने पर लोगों की मदद कर देता है।
घटना के दौरान जब डॉक्टर अविनाश कुशवाहा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि “हम बाथरूम गए थे और इसी बीच मरीज को थोड़ी दिक्कत हुई है। ऐसा आमतौर पर नहीं होता है”
लोगों ने जल्द डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग उठाई है।
