Thursday, November 27, 2025
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जिम्मेंदार सोएं, जनता रोएं — बनती जा रही है संकट की सुनामी

महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। जनता की परेशानियां दिन– प्रतिदिन बढ़ रही हैं, लेकिन जिम्मेंदार महकमे की सुस्ती हालात को और भी विकराल बना रही है। इलाके में बुनियादी सुविधाओं से लेकर दैनिक जरूरतों तक, हर मोर्चे पर समस्या मुंह बाए खड़ी है—लेकिन न तो अफसरों की बैठकों में इसकी गूंज सुनाई देती है, और न ही फील्ड में सक्रियता नजर आ रही है।जमीनी हालात इतने बदतर कि लोग खुलेआम सवाल पूछ रहे हैं—आखिर प्रशासन कब जागेगा?
बरसों से लंबित सड़क मरम्मत, खराब पड़े हैंडपंप, बिजली कटौती, बाजारों में अवैध वसूली और जनसुविधाओं की कमी ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है। शिकायतों का अंबार तो हर दफ्तर में जमा है, लेकिन समाधान की रफ्तार कछुए से भी धीमी लोगों का कहना है कि छोटे-छोटे मुद्दे भी अफसरों की लापरवाही से बड़ी समस्या का रूप ले रहे हैं। हालात बिगड़ने पर कार्रवाई का ढोल पीटा जाता है, लेकिन नतीजा वहीं का वहीं—जनता दुःखी और तंत्र लापरवाह।स्थानीय लोग अब साफ कह रहे हैं—अगर प्रशासन समय रहते जागा नहीं, तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ेंगे। चारों ओर यही सवाल तैर रहा है— जनता यूं ही परेशान होती रहेगी और जिम्मेदार यूं ही सोते रहेंगे?

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