लखनऊ/उत्तर प्रदेश (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल द्वारा दिल्ली में बम विस्फोट की घटना को अंजाम दिए जाने के बाद, उत्तर प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और उन्होंने अपनी जांच तेज कर दी है। एजेंसियों का मुख्य फोकस राज्य में आतंकियों के लोकल हाइडआउट्स (शरणगाहों) की पहचान करना है।
250+ कश्मीरी मूल के डॉक्टर और छात्र जांच के दायरे में
सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर इस समय 250 से अधिक कश्मीरी मूल के डॉक्टर और छात्र हैं, जिनकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
- फरीदाबाद कनेक्शन: सूत्रों के अनुसार, फरीदाबाद मॉड्यूल का खुलासा होने के बाद आतंकियों का कनेक्शन यूपी के कई जिलों से सामने आया है।
- प्रोफाइलिंग: कश्मीर निवासी ऐसे डॉक्टर जो प्रदेश के सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत हैं, या मेडिकल की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, उनका ब्योरा जुटाया जा रहा है। निजी अस्पतालों में कार्यरत कश्मीरी डॉक्टर भी जांच के दायरे में हैं।
- दस्तावेज सत्यापन: एटीएस ने इन सभी लोगों के बारे में जानकारी जुटाने के बाद उनके आपराधिक इतिहास को खंगालने के लिए दस्तावेज जम्मू-कश्मीर पुलिस को सत्यापन के लिए भेजे हैं। बीते सप्ताह तक रडार पर मौजूद लोगों की संख्या 200 थी, जो अब बढ़कर 250 से अधिक हो चुकी है।
शैक्षिक संस्थान भी रडार पर
फरीदाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी पर कानूनी शिकंजा कसने के बाद, यूपी में मेडिकल की शिक्षा देने वाले आधा दर्जन से अधिक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान भी जांच के दायरे में आ गए हैं।
- एजेंसियों की पैनी नजर: एटीएस, एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) और स्थानीय पुलिस इन संस्थानों में होने वाली गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए है।
- वित्तीय जांच: इन संस्थानों के वित्तीय प्रबंधन (Financial Management) को भी जांच के दायरे में लाया गया है और पड़ताल जारी है।
- स्थान: इनमें से अधिकतर संस्थान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, जबकि राजधानी लखनऊ का भी एक संस्थान जांच के दायरे में शामिल है।
यूपी में सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों को पनाह देने और उनके स्थानीय नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैं।
