नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत की न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई आज (रविवार, 23 नवंबर) सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो रहे हैं। उनका अंतिम कार्यदिवस शुक्रवार को भावुक माहौल में संपन्न हुआ, जहां उन्होंने स्वयं को ‘न्याय का विद्यार्थी’ बताते हुए 40 साल के अपने न्यायिक सफर को संतोषजनक बताया।
जस्टिस गवई की भावुक विदाई
अपने विदाई समारोह में जस्टिस गवई ने कहा कि वह इस संतोष के साथ विदा ले रहे हैं कि उन्होंने देश के लिए जो कुछ भी कर सकते थे, वह किया। उन्होंने एक वकील से लेकर हाईकोर्ट जज, सुप्रीम कोर्ट जज और अंततः सीजेआई बनने तक की अपनी यात्रा को बेहद संतोषजनक बताया।
53वें CJI के रूप में जस्टिस सूर्यकांत लेंगे शपथ
निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश के रिटायरमेंट के बाद, जस्टिस सूर्यकांत सोमवार, 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले इस भव्य समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस और ब्राजील सहित कई देशों के मुख्य न्यायाधीशों की उपस्थिति भारतीय न्यायपालिका के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगी।
नए CJI सूर्यकांत की प्राथमिकताएं
पत्रकारों से बात करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा फोकस देश भर की अदालतों में लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने पर होगा।
न्यायिक सुधार और दृष्टिकोण:
- लंबित मामलों का निपटारा: वे उन मामलों की पहचान करेंगे जो वर्षों से न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं।
- हाईकोर्ट की भूमिका: उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोगों को समझना चाहिए कि हाईकोर्ट भी संवैधानिक अदालतें हैं, इसलिए सीधे सुप्रीम कोर्ट आने से पहले हाईकोर्ट में अपील की जानी चाहिए।
- आधुनिकीकरण: जस्टिस कांत ने न्यायपालिका को अधिक पारदर्शी, तेज और प्रभावी बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया। उनकी प्राथमिकताओं में पुरानी लंबित फाइलों का निपटान, डिजिटल न्याय व्यवस्था को बढ़ावा देना और बेंच की दक्षता बढ़ाना शामिल है।
जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका में सुधार और आधुनिकीकरण के लिए एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।
