बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
जहाँ रेल मंत्रालय एवं रेलवे मंडल वाराणसी प्रत्येक रेलवे स्टेशनो को आधुनिक साजो सामान से सुसजित करने मे लगा है, वही ब्रिटिश सरकार के शासन कॉल मे व्यापार व यात्रियों को लाने ले जाने के लिए बनाया गया था। लेकिन वर्तमान मे यह स्टेशन अपनी दुर्दशा पर आँसू बहाने पर मजबूर है। यात्रियों के लिए रेलवे स्टेशन पर न शुद्ध पिने का पानी की व्यवस्था है ना ही शौचालय, सिर्फ झाड़ फुस से जंगल का रूप धारण कर लिया है। ना जाने कितने प्रतिनिधि हुए लेकिन किसी ने इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन व रेलवे को विकसित करने की कोशिश नहीं की।
स्टेशन पर स्वछता का नामोनिशान नहीं सिर्फ चारो तरफ झाड़ फुस से जंगल बना हुआ है। बरहजिया ट्रेन से हर रोज हजारों यात्रियों का आना जाना होता है अपने अपने कामों के लिए, इस ट्रेन से विद्यार्थियों व आम यात्रियों तथा सलेमपुर से लिंक पकड़ने वाले यात्रियों का आना जाना होता है, किन्तु यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है।
कुछ वर्ष पूर्व बरहज मे एक हवा उडी थी की बरहज रेलवे स्टेशन के खाली पड़ी जमीन पर रेलवें डिपो स्थापित होगा, लोगो मे रोजगार की एक आस जगी थी लेकिन वह हवा शून्यता मे समा गया।
बरहज की लाइफ लाइन कहे जाने वाली बरहजीया ट्रेन को वर्षो पहले समाप्त करने की कोशिश की गयी थी किन्तु छोटे लोहिया के नाम से प्रसिद्ध स्व जनेश्वर मिश्रा ने इसे जनहित मे बचाकर छोटी लाईन से बड़ी लाईन मे परिवर्तित करने का सुंदर कार्य किया गया, तब से आजतक यह ट्रेन आमजनमानस के लिए प्रमुख साधन के रूप मे अपनी सेवा प्रदान कर रहा, किन्तु यात्रियों के लिए रेल प्रशासन द्वारा कोई सुविधा प्रदान नहीं किया गया, व्यवस्था को लेकर समय समय पर कुछ विपक्षी नेताओ द्वारा रेल मंत्रालय को जगाने की कोशिश की गयी किन्तु वह भी हवा के साथ उड़ गया।
व्यापारिक साधन के रूप मे अपनी पहचान बनाने वाला बरहज रेलवे स्टेशन व ट्रेन अपनी अस्मिता बचाने के लिए मजबूर है।
जनता के साथ किया गया छलावा
समाजसेवी श्रीप्रकाश पाल ने रेलवे स्टेशन व ट्रेन की दशा पर अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि, अंग्रेजी हुकूमत के समय बरहज बाजार एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप मे जाना जाता था, और व्यापार के लिए पानी के जहाज व रेल प्रमुख साधन थे किन्तु वर्तमान मे अपनी अस्मिता खो चूका है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों द्वारा बरहज रेलवे स्टेशन व ट्रेन के ऐतिहासिक पहलु को विकास से कोशो दूर कर जनता के साथ छलावा किया गया है। कभी भी इस ट्रेन को किसी ने आगे बढ़ाने कि कोशिश नहीं की।
बरहज रेलवें की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन
भाकपा जिला सचिव अरविन्द कुशवाहा ने बरहज रेलवे स्टेशन व ट्रेन की दुर्दशा के लिए प्रतिनिधियों को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि, एक समय था बरहजीया ट्रेन से यात्रीगण दूर तक कि यात्रा करते थे किन्तु अब इसे भटनी से सलेमपुर से बरहज तक सिमित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद तक बरहज रेलवे स्टेशन सुविधाओं से परिपूर्ण था, यहाँ कर्मचारी आवास, यात्रियों के ठहरने के लिए सराय खाना व सामान रखने के लिए माल गोदाम था जो अब खंडहर मे तब्दील हो गया है चारो तरफ केवल झाड़ फुस से जंगल बना गया है, वही बरहजीया ट्रेन को किसी ने आगे बढ़ाने कि जुर्रत नहीं की सभी प्रतिनिधियों ने जनता के साथ छलावा कर बरहज के ऐतिहासिक पहलू को आधुनिकता की दौड़ से कर दिया गया है।
बरहज रेलवे की दुर्दशा को दूर कर इसको आधुनिक बनाया जाय
बरहजीया ट्रेन को आगे बढ़ाने व रेलवे स्टेशन को सुविधाओं से सुसजित करने लिए रेल मंत्रालय से मांग करते हुए भलुअनी ब्लाक प्रमुख छट्ठू यादव ने कहाँ कि, अंग्रेजी सरकार के समय से स्थित बरहज रेलवे स्टेशन कायाकल्प कर आधुनिक बनाया जाय ताकि किसी भी यात्री को कोई दिक्कत न होने पाए। उन्होंने मांग करते हुए कहाँ कि बरहजीया ट्रेन को बरहज से दोहरीघाट या बरहज से गोरखपुर सहजनवा तक संचालित किया जाय ताकि लाखो यात्रियों को को इसका लाभ मील सके।ब्लाक प्रमुख छट्ठू यादव ने कहाँ कि बरहज बाजार के ऐतिहासिक व्यापरीक पहलू को जिन्दा कर आधुनिकता कि ओर अग्रसर किया जाय।
