जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात की। इस मुलाकात में वैश्विक हालात, क्षेत्रीय तनाव, बहुपक्षीय तंत्र की भूमिका और भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर व्यापक चर्चा हुई। जयशंकर ने गुटेरेस के वैश्विक दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण बताते हुए भारत के विकास और नीतिगत पहलों पर उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
जयशंकर ने यह भी कहा कि वह जल्द ही गुटेरेस को भारत में स्वागत करने की उम्मीद करते हैं। यह मुलाकात कनाडा की अध्यक्षता में हो रही G7 विदेश मंत्रियों की बैठक में हुई, जिसमें भारत को विशेष आमंत्रित देश के रूप में शामिल किया गया है।
ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों पर भारत का पक्ष
जी7 आउटरीच सत्र में जयशंकर ने ऊर्जा सुरक्षा और क्रिटिकल मिनरल्स पर भारत की रणनीति साझा की। उन्होंने कहा कि वैश्विक सप्लाई चेन की निर्भरता कम करना और उसे मजबूत बनाना समय की जरूरत है।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि सिर्फ नीतिगत चर्चा पर्याप्त नहीं है—वास्तविक परिवर्तन तभी संभव है जब इन नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए। भारत इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।
समुद्री सुरक्षा पर भारत का फोकस
समुद्री सुरक्षा पर आयोजित एक अन्य जी7 बैठक में जयशंकर ने कहा कि भारत इंडो-पैसिफिक, महासागर दृष्टिकोण और क्षेत्रीय साझेदारी के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने इन बिंदुओं पर जोर दिया:
सुनिश्चित और विविध समुद्री मार्गों की आवश्यकता
महत्वपूर्ण समुद्री एवं अंडरसी इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा
समुद्री अपराधों—तस्करी, चोरी और अवैध मछली पकड़ने—के खिलाफ वैश्विक तालमेल
जयशंकर ने बताया कि भारत इंडो-पैसिफिक में एक फर्स्ट रिस्पॉन्डर के रूप में उभर रहा है और राहत-बचाव अभियानों में सहयोग बढ़ा रहा है।
वैश्विक मंच पर भारत की सक्रिय भूमिका
भारत इस बैठक में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ भाग ले रहा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, G7 में इस तरह की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने और ग्लोबल साउथ की आवाज मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
