जिस समय इंसान पत्थर रगड़कर,
अग्नि प्रज्वलित करता रहा होगा,
इंसान इंसान की मदद करता होगा,
आपसी भाईचारा रखता रहा होगा।
अब तो जानवर इंसान से बेहतर हैं,
अब आग खोजना ज़रूरत ही नहीं है,
क्योंकि इंसान स्वयं इंसान को आग
लगाने में बिलकुल हिचकता नहीं है।
और एक अजीब बात इंसान की है,
बहुत लोगों के पास लिबास नहीं होता,
परन्तु अक्सर बहुत से लिबास देखे हैं,
जिनके अंदर इंसान बिलकुल नहीं होता।
कोई इंसान सादा काग़ज़ पढ़ लेता है,
तो कोई पूरी किताब नहीं पढ़ पाता है,
अपनी अपनी समझ है कोई हालात,
तो कोई जज़्बात भी नहीं पढ़ पाता है।
इंसान का सच कि घाव व लगाव
दोनो मिलने के बाद नहीं भूलते हैं,
आदित्य इसलिये रिश्ते में भी उचित
दूरी इंसान इंसान से बनाये रखते हैं।
- डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’
