अलीगढ़ (राष्ट्र की परम्परा)। जिंदगी और मौत के बीच जूझती 21 वर्षीय फूलमाला हिम्मत की मिसाल बन गई है। एक पैर पूरी तरह कट चुका है और दूसरे पैर की हड्डी छह इंच के हिस्से में 31 जगह से टूट चुकी है, लेकिन यह बहादुर बेटी अपने पिता को ढांढस बंधा रही है। अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर 7 में भर्ती फूलमाला अपने पिता रमेश चंद्र के आंसू पोंछते हुए बार-बार कहती है — “आप चिंता मत करो पापा, एक दिन मैं फिर से खड़ी हो जाऊंगी।”
हाथरस के जंक्शन थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर गांव निवासी रमेश चंद्र की बेटी फूलमाला 15 अक्टूबर को दादरी में रेलवे सुरक्षा बल (RPF) सिपाही भर्ती की शारीरिक परीक्षा देकर अपने पिता के साथ ट्रेन से लौट रही थी। महरावल स्टेशन के पास उसे बेचैनी महसूस हुई, इसलिए वह दरवाजे के पास चली गई। तभी अचानक झटका लगने पर वह ट्रेन से गिर गई। बेटी को गिरते देख पिता ने भी बिना सोचे-समझे छलांग लगा दी। हादसे में फूलमाला का एक पैर कट गया, जबकि दूसरे पैर का आधा पंजा भी बुरी तरह जख्मी हो गया।
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वह फिलहाल जेएन मेडिकल कॉलेज के बेड नंबर 744 पर भर्ती है। दर्द से कराहने के बावजूद वह खुद से ज्यादा अपने पिता की चिंता कर रही है। डॉक्टरों के अनुसार, “फूलमाला खुद के घावों की चिंता नहीं करती, बल्कि लगातार अपने पिता के बारे में पूछती रहती है।”
डॉक्टरों की टीम ने 17 अक्टूबर को एक जटिल सर्जरी कर फूलमाला के बाएं पैर की टूटी हड्डियों को स्क्रू की मदद से फिक्स किया है। सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अमजद अली रिजवी ने बताया कि उसका दूसरा पैर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त है, लेकिन डॉक्टर पूरी कोशिश कर रहे हैं कि पैर बचाया जा सके। अब जख्म भरने की प्रक्रिया पर नजर रखी जा रही है और आवश्यकता पड़ने पर दूसरी सर्जरी की जाएगी।
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फूलमाला की जिजीविषा और अपने पिता के प्रति प्रेम ने हर किसी का दिल जीत लिया है। दर्द के बीच भी उसकी मुस्कान और हिम्मत जीवन के प्रति उसकी अटूट आशा की कहानी कहती है।